ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे? (How Start American Cucumber Farming Business in Hindi?)

You are currently viewing ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे? (How  Start American Cucumber Farming Business in Hindi?)
Rate this post

“ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे?” इस आर्टिकल में आज हाम ककड़ी का खेती से जुढ़े  सारे जानकारी देंगे| दैनिक आहार में सब्जी को राखना बहती जरूरी होता है, सब्जी के अंदर से बहुत सारे पुस्ती गुण जेसा विटामिन्स , मिनारेल्स को शारीर को मिलते है| इसलिए दैनिक आहार में बिभिन्न प्रकार का सब्जी खाने में राखते है , इसके अन्दर ककड़ी भी एक जनप्रिय सब्जी है | सारे भारत में ककड़ी की काहने में उपयोग होता है, लेकिन उत्तर भारत, मध्य भारत में सबसे जादा खाने में उपयोग होता है | इस कद्दू वर्गीय सब्जियों में उगाई जाने वाली ककड़ी की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है| ककड़ी का साइज़ 1 फिट के आस पास होती है | और ककड़ी को सब्जी बनके और काच्चा सलाद में खाने जाते है | ककड़ी  का रंग हल्के हरे  होते है| और गर्मी का समय इसको खाने से हित स्ट्रोक बिमारी को रोक सकते है|  इस सब्जी शारीर के लिए बहुत इ लाभ दायक है| ककड़ी का पौधा लता के रुपमे फैलता और सारे भारत में इस फसलका खेती किया जाती है|

Table of Contents

ककड़ी  की खेती की बिज़नस का संभाबना कितना है? ( How Potential of American Cucumber Farming in Hindi?)

ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे? – और आप  क्रिशिकाज में  खुद रहेना चाहाते है, और कृषि समन्धित बिज़नस करना चाहाते है और कृषि को  दिलचस लागता है , तो आपदे पास ककड़ी का खेती को बिज़नस एक बिकल्प हो सकते है | किउ की भारत में बाजार में ककड़ी की मांग बहुत जादा है|  इसलिए  खेती में उत्पादन करने के बाद बाजार में बेचने में इसका कोई समस्या नही है | अगर ककड़ी की खेती की बिज़नस करना चाहते है  तो आप एक सफल ब्यापारी हो सकते है और लाको कमा सकते है |

ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे? ( How Start American Cucumber Farming Business in Hindi?)

ककड़ी की खेती की बिजनेस करने के लिए आपको सही ढंग से फार्मिंग  करना पड़ेगा इस लिए इसका जलबायु , खेती का तरिका , खेती का समय सारे कुछ जानना बहुत जरुरी है | सही ढंग से अगर ककड़ी का खेती किया जाए तो खेती करके आप लाख कामइ करे  सकते है |  आर्टिकल में हाम इस सारे बीसय में चर्चा करेंगे |

ककड़ी का खेती के लिए जलबायु ?( Climate of American Cucumber Farming)

ककड़ी एक गर्म मौसम की फसल है |  ककड़ी की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे माना जाता है| गर्मी का इसका पौधा का ब्रिधि बहुत तेजी से होता है| जादा  सर्दी का मौसम में ककड़ी का पौधा नस्ट हो जाते है | और जादा तापमान में भी इसका फसल नस्ट हो जाते है| साधारण रुपमे  बीज को अंकुरत हो ने के लिय 20-25डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की जरुरत होता है| 25-30 डिग्री पौधा ब्रिधि होने के बहुत आछे है| पौधा 35 डिग्री तक तापमात्रा  शहन कर पाते है|  35 डिग्री से जादा तापमान होने से फूल नस्ट हो जाते है|

ककड़ी की खेती के लिए मिट्टी ( Soil of American Cucumber Farming in Hindi)

ककड़ी की खेती लिए दोमोट मिट्टी सबसे आछी है| जिस मिट्टी जादा कार्बोनिक है  उसी मिट्टी में ककड़ी आछा फलन होते है | ककड़ी की खेती के लिए खेती में आछी जल निकासी का इन्तेजाम होना चाहिए | आछी फलन के लिए मिट्टी का PH  परिख्सा करना जरूरी होता है | ककड़ी फसल के लिए मिट्टी का PH  5.5-6.6 होने से सबसे आछे होता है |

ककड़ी की उन्नत किस्में (Varieties of  American Cucumber Farming in Hindi)

भारत में ककड़ी बहत जादा किस्मे नही मिलता, सरकारी अनुसन्धान केंद्र में इस सब्जी को लेके भुत जाता काम हुया नही| फिर भी कुछ दिशी किस्मे और कुछ हाइब्रिड किस्मे की खेती भारत में होते है जैसा –

ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे? (How  Start American Cucumber Farming Business in Hindi?)

जैनपुरी ककड़ी

या एक अधिक फलाने बाले किस्मे है इसको भारत का  साइंटिस्ट ने आभिस्कार किया | प्रति हेक्टर में 160-180 कुइंताल तक फलन होते है| इस प्रकार की ककड़ी हरे रंग की और बहुत मोलायम होते है|

दुर्गापुरी ककड़ी

या एक अधिक फलाने बाले किस्मे है इसको भारत का  साइंटिस्ट ने आभिस्कार किया | प्रति हेक्टर में 200 कुइंताल तक फलन होते है| इस प्रकार की ककड़ी हालका पिला  रंग की होते है| भारत में राजस्थान राज्य में इसका फलन होते है| इस प्रकार की ककड़ी का फसल जल्दी मिल जाता है|

अर्का शीतल

या एक अधिक फलाने बाले किस्मे है इसको भारत का  साइंटिस्ट ने आभिस्कार किया | प्रति हेक्टर में 200 कुइंताल तक फलन होते है| इस प्रकार की ककड़ी हल्का हरे रंग की और बहुत मोलायम होते है|

पंजाब स्पेशल

या एक अधिक फलाने बाले किस्मे है इसको भारत का  साइंटिस्ट ने आभिस्कार किया | प्रति हेक्टर में 220 कुइंताल तक फलन होते है| इस प्रकार की ककड़ी हालका पिला  रंग की होते है| उत्तर भारत की कुछ राज्य में इसका फलन होते है|

लखनऊ अर्ली

उत्तर भारत में इस प्रकार की किस्मे होते है , प्रति हेक्टर में 150कुइंतल से जादा नही फलन मिलता है| इस प्रकार की ककड़ी का टेस्ट बहुत ही आछि होते है|

708

ककड़ी की इस किस्म को अगेती फसल के रूप में फार्मिंग किया  जाता है. इस किस्म की पैदावार सामान्य होती है. इसके फल हल्के हरे रंग के होते हैं. इसके बीजों को कम तापमान पर भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसके फलों में काफी कम रोग देखे को मिलते हैं.

ककड़ी  की खेती में खाद की प्रयोग ( Pesticides of  American Cucumber Farming in Hindi)

ककड़ी  एक नाजुक प्रकार की पौदा है इस के लिए खाद का जादा नजर राखना चाहीइ | 1 हेक्टर जमिन पे तकरीबन 250-300 कुइंतल सड़ी हुई गोबोर और कम्पोस्ट खाद को जमीन पे मिक्स करना चाहिए | रोपोन के समय 20-25 कुइंतल प्रति हेक्टर में  निम् का खाल्ली जमीन पे देने से पौदा में निमाटॉड बिमारी का प्रोकोप कम होता है| रासायनिक खाद के लिए  नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम और 50 किलो फास्फोरस का ब्यबस्था करना पड़ेगा | इस सारे खाद में से पतास और फोस्फोरस को रोपण के समय देना परेगा | और नाइट्रोजन का 50 % रोपों के समय और बाकी नाइट्रोजन का  आधा 40 दिन के बाद और आधा 70 दिन के बाद देना पड़ेगा | अगर सही से सारे बिधि के ऊपर नजर दिया जाए तब ककड़ी की फसल में आची मुनाफा होगा|

ककड़ी की खेती की बीज का प्रबंध ( Seeds of American Cucumber Farming in Hindi)

हर सब्जी का खेती के लिए बीज बहुत जादा कीमत राखते है | ककड़ी की खेती के लिए आप भी आछा किस्मे की बिज चयन की जिए | 1 हेक्टर खेती के लिए 2.5kg   बीज का जरुरत होता है |

बीग को इस्तेमाल करने से पहेले उसका परिशोधन  करना बहुत जरूरी है |

इस लिए अदरक की बीज/सीड को मेन्कोजेब 3gm / liter जल में देके बीज को  30 मिनिट परिसुध किया जाता है|| इसमें  फंगल संक्रमण नही होगा पोदा पे |

ककड़ी खेती की लिए पौदे की नार्सारी ( Nursery of American Cucumber Farming in Hindi)

ककड़ी का पौदा रोपोन के लिय नार्सारी बहुत जरुरी है | इस लिए पहेले नर्सारी बेड में बीज को बोया जाता है | पानी जमा होने का समस्या दूर करने के लिए, ककड़ी की  नार्सारी बेड  को उचाई राखना बहुत जरूरी है | और नार्सारी बेड  के लिय रेतीली मिट्टी सबसे आछा होते है | और आप कोकोपित का छोटा प्लास्टिक पात्र में बुयाई कर सकते है | 15-20 Centimeter  उचाई में 1.7×1.2 मिटार का बेड को ककड़ी के लिए आछी नार्सारी माना जाता है | एसे 1हेक्टर के खेती के लिए 10 नर्सारी बेड से काम कर सकते है |दो बेड के अन्दर 90 सेमी का दुरी होना बहुत जरुरी है | वेड बनाने का समय बेड के मिट्टी के साथ आछे से कम्पोस्ट खाद और FMO /  भार्मी कम्पोस्ट देना  जरूरी है | सीड को सुस्थ राखने  के लिए बेभिस्तिन 10-15gm  प्रति 10 लीटार जल  के साथ नार्सारी बेड  में छिर्काओ किजिए | बुवाई पतली-पतली पंक्तियों में 5-6 सेंटीमीटर की दूरी पर कीजिए । बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोया जाता है और मिट्टी की एक महीन परत से ढक देना चाहिए, इसके बाद पानी के कैन से हल्की सिंचाई करना जरुरी | बीजो के लिए तापमात्रा एक बहुत एहेम चिग होते है | आवश्यक तापमात्रा  और नमी बनाए रखने के लिए घास या गन्ने के पत्तों, धान के पत्तें से बेड को ढक देना चाहिए। अंकुरण पूरा होने तक आवश्यकतानुसार जल के पात्र से जल देना चाहिए। अंकुरण पूरा होने स पौदा का उपर से सुखी पत्तें हटा दीजिए | साधारण रुपमे 4-6 सप्ताह की बाद 2-3 पत्ता दिखाई देती है , और पौध 15 सेमी तक उचाई ले लेती है | आब पौध को रोपाई करने के लिए आपको तैयारी करना चाहिए|   

ककड़ी की खेती में रोपाई कैसे करे ? ( Planting of American Cucumber Farming in Hindi)

  • ककड़ी के खेती में रोपाई से पहेले जमीन को कुछ समय का अंतर 2-3 बार जुताई कर लेना चाहिए और जमीन को जुर जुरा कर लीजिए | आभी कंपोज्ड खाद जैसे गोबोर , FYM का प्रोयोग की जिए और एक बाद जमीन को समतल राखने  कोसिस कीजिए |
  • ककड़ी के रोपाई के लिय दो पौधा के अन्दर दुरी होना बहुत जरुरी है|
  • ककड़ी की लिए पौधा से पौधा का दुरी होता है 50×30 cm
  • मिट्टी अगर रोपाई से पहेले शुखा हो जाए तो आप हालका सिचाई कर सकते है| रोपाई से पहेले पौधो की जड़ को बेविस्तीं और पानी का मिश्रण ( 2 gm / liter) में डुबो के फेर रोपाई करना चाहिए | कोसिस करे शाम का समय पौधा को रोपाई करने का  |

ककड़ी का खेती का सिचाई ( Irrigation of American Cucumber Farming in Hindi)

·    ककड़ी की खेती के लिए सिचाई बहुत एहेम चीज होता है |

·    ककड़ी की पौधा की चारी पास हर समय नमी राखना जरुरी है |

·    ककड़ी की रोपाई के दिन और रोपाई के 3दिन बाद फेर सिचाई देना जरूरी  है |

·  ककड़ी की पौधा ब्रिधि होने का समय प्रति 7 दिन के अंतराल में सिचाई करना जरुरी है|

· अगर ककड़ी की खेती में टपक सिचाई प्रणाली उपयोग करते है तो सिचाइ का खर्चा बहुत इ कम होना है | और सरकार ने टपक सिचाई बिधि के लिए योजना भी चालु किया | उसका भी लाभ उठा सकते है |

खरपतबार मुक्त खेती ( Weeds Cleaning of American Cucumber Farming in Hindi)

रोपाई के बाद पौधा का ब्रिधि होना सुरु होगा, तब खेत में खरपतबार का आधिक्य हो सकता है | आपको बीच बिच  में जमीन को देख ना चाहिए, और खरपतबार होने से उसको निकाल ना बहुत जरुरी है | फसल को खरपतवार मुक्त रखने के लिए तिन–चार  बार निराई-गुड़ाई के जरुरत हो सकती है । खरपतवारों के नियंत्रण के लिए खरपतबार नासक फ्लुक्लोरालिन (1.5 किग्रा a.i./ha) का पूर्व-उद्योग और रोपाई के 30 दिन बाद एक हाथ से निराई करने का बहुत जरुरी होता है।

ककड़ी की खेती में रोग और उसके रोकधाम (Disease and its prevention in the cultivation of American Cucumber in Hindi)

लाल भृंग

ककड़ी की खेती में लाल भृंग का रोग नई पत्ते पर दिखाई देता है. इस रोग के लगने से पौधों की पत्ते में अनियमित आकार वाले टेढ़े मेढ़े छिद्र बन जाते हैं. जिससे पौधों का ब्रिधि बांध हो जाते है| रोग के बढ़ने से सारे फसल नष्ट हो जाती है. इस रोग की रोकथाम के लिए कार्बारिल या सायपरमेथ्रिन की उचित मात्रा का छिडकाव पौधों पर करना चाहिए इसमें इस प्रकार की रोग को रोका जा सकता है|

डाउनी मिल्ड्यू

डाउनी मिल्ड्यू का रोग बक्तेरिया  जनित रोग है. इस रोग के लगने से पौधों की पत्ते पीली पड़ जाती है| रोग के बढ़ने पर पौधों की पत्ते पीली पड़कर गिरने लग जाती है. जिससे पौधा ब्रिधि बंद हो जाती है. इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर मैन्कोजेब की सठिक मात्रा का छिडकाव करना चाहिए.

काले धब्बे का बिमारी

इस रोग में  पौधों के फलों पर शुरुआत में छोटे छोटे आकर के हल्के धब्बे दिखाई देते हैं. जो धीरे धीरे गहरे बड़ा काले रंग में बदल जाते हैं. इस रोग से फल खराब हो जाता है. इसके अलावा इस रोग के लक्षण से पौधों की पात्ते पर भी दिखाई देते हैं| पत्ते की निचली हिस्से पर काले धब्बे बन जाते हैं| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर फाईटोलान या ब्लाईटाक्स की सठिक मात्रा का छिडकाव करना चाहिए, इसमें इस रोग को रोका जा सकते है|

फल मक्खी की प्रोकोप

फल मक्खी का प्रोकोप से ककड़ी की पैदावार को काफी नुक्सान होता है | इस रोग में  कीट फलों पर अंडे देते हैं. जिनसे निकलने वाला लार्वा फलों के अंदर जाकर फलों बरबाद कर देता है|  इस रोग की रोकथाम के लिए मैलाथियान या डाईमिथोएट की पौधों पर  सठिक मात्रा में छिडकाव करना चाहिए.

ककड़ी का तुड़ाई ( Harvest of American Cucumber in hindi)

ककड़ी का रोपोन के 80-90 दिन के बाद से फसल को तुड़ाई  शुरू किया जाता है| और 150-180 दिन तक इसका फसल ले सकते है| कम पके और मोलायम फल को थुराई करना चाहिए| इस प्रकार की फल की आछी किंत रहेती है| और आछी फलन लेने  के लिए हर सप्ताह में कम से कम 2-3 बार तुराई करना चाहिए|

ककड़ी की  खेती से मुनाफा कीटाण होता है ? ( Profit of American Cucumber Farming)

ककड़ी की खेती से बहुत इ आछे मुनाफा ले सकते है | एक हेक्टर में कोई आछी किस्मे की ककड़ी 200 कुंटाल के आस पास होता है | और खेत्र के हसाब से उसका कीमत भी होता है| एक हेक्टर ककड़ी की खेती करनेके लिए 30000 – 40000 रुपिया खर्चा होता है | ककड़ी होलेसले मंडी में 10-30 रुपिया तक कीमत में बेच ते है| इसलिए कोई भी अगर 1 हेक्टर की खेती की फार्मिंग कर रहे हे तो २ लाख से जादा आमदानी कर सकते है| और 1.5 लाख से जादा मुनाफा कर सकते है |

Conclusion –  अगर कोई ककड़ी की खेती की बिज़नस करना चाहाते है तो जरुर कर सकते है |  आज का इस “ककड़ी की खेती की बिजनेस कैसे करे?” आर्टिकल में हामने कोसिस किया ककड़ी की खेती की बारे में  सारे जानकारी देने के लिए| आपको और कोई जानकारी के लिए निचे कमेंट्स कर सकते है| 

और भी  पढ़े –  

काला अदरक की खेती की बिजनेस कैसे करे?

बैंगन की खेती की बिजनेस कैसे करे?

कोजागरी लक्ष्मी पूजा कैसे मनाया जाता है 2021?

बंगाल की प्राचीन ग्रामीण दुर्गा पूजा

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2021 ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन|

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना 2021 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2021

Please Share

Leave a Reply