भेटकी मछली की खेती कैसे करे? 2022 | Vetki fish farming business in Hindi?

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भेटकी मछली की खेती कैसे करे? भेटकी पालन की ब्यापार Vetki fish farming in hindi start fish farming business

भेटकी मछली की खेती कैसे करे? (Vetki fish farming business in Hindi?)

“भेटकी मछली की खेती कैसे करे?” आजका इस आर्टिकल में भेटकी मछली की खेती के बारे में बिस्तार रुपमे चर्चा करेंगे. अगर आपने भेटकी मछली की बारे में जानना चाहते है तो इस आर्टिकल के जरुर अंत तक पढ़िये गा . आपको भेटकी मछली पालन की बिजनेस के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी.

भारत में भेटकी एक बहुत जादा लोकप्रिय मछली है , इसे साधारण रुपमे भारत में भेटकी , सी बस, बरमुन्द्दी के नाम पे बोला जाता है , किसी किसी राज्य में इसे दुसरे नाम पे भी बोला जाते है . दुनिया में इस मछली को सी बास के नाम में जाना जाता है . और सारे दुनिया में इस मछली बहती पापुलर है .

भेटकी को कोस्टल एरिया में बहुत जादा फार्मिंग होता है , जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, किउ की खरा पानी में इस मछली का बहुत आछे फार्मिंग होता है , लेकेन मीठा पानी में भी इस मछली का फारिंग हो सकते है , इसलिए जिस राज्य में समुंदर का पानी नहीं मिलता है, उस राज्य में भी भेटकी मछली का बहुत जादा खेती हो रहा है.

. भेटकी बहुत हार्डी या शक्त टाइप का मछली है . यह मछली बहती खाराप पानी में भी आछी से जिन्दा रहे सकते है. अगर मछली फार्मिंग की  अच्छा बाताबरण में इस मछली बहुत जल्दी बढ़ा हो जाता है. व्याबसायिक रुपे में पालन करने से इस ब्याबसा में बहुत जादा लाभ मिलता है .

भेटकी मछली की खेती कैसे करे

भेटकी मछली खाने के फायदे (benefits of eating Vetkifish in Hindi)

भेटकी मछली किसी भी परिबार के सभी सदस्य के लिए एक स्वस्थ आहार है . इसमें बहुत सारे खाद्य गुण रहेता हे  जेसे –

  • एय एक ओमेगा 3  का आछा सौसे है .
  • प्रोटीन से भरपूर
  • लो फट (low fat)
  • saturated fat बहती कम
  • शून्य कार्बोहाइड्रेट
  • कम कोलेस्ट्रॉल
  • शून्य सोडियम
  • 60% कैलोरी प्रोटीन से मिलता हे
  • 40% कैलोरी fat से मिलता हे

कोण कोण देश में भेटकी मछली का पालन होता है? (In which country is the Vetki fish farming in Hindi?)

भेटकी मछली केबल भारत में लोकप्रिय है एय्सा नही है , दुनिया में बहुत सरे देश में इसका पालन होता है . इसे एशिया , उरोप, आमेरिका महादेश का बहुत सारे देश में खेती किया जाता है .

भेटकी मछली का मार्केट डिमांड कितना है ? (What is the market demand of Vetki fish in Hindi?)

भेटकी मछली का बहुत जादा पुष्टि गुण, बढ़िया स्वाद और औषधीय मूल्य के कारण उच्च बाजार मूल्य मिलता है। और एक बाद है इस भेटकी मछली बिदेश में बहुत जादा मांग है , और इसे भारत से बिदेश में बहुत जादा मात्र में निर्यात होता है, देश में भी मांग बहुत जादा है, लेकिन उसका उत्पादन बहुत कम है .

भेटकी मछली का वैज्ञानिक नाम (Scientific name of Vetki fish in Hindi)

Lates calcarifer

भेटकी मछली का अंग्रेजी नाम –

Sea bass

भेटकी मछली का विशेषताएँ ( Features of Vetki Fish in Hindi)

  • भेटकी मछली का सिर बहुत शक्त और सीदा होता है.
  • भेटकी मछली का मुख (mouth) बहुत बड़ा होता है .
  • इसका शरीर देखने बहुत चमकदार होते है .
  • सफेद रंग का शरीर होता है ।
  • इसका पूरा शरीर, पंख और सिर को छोड़कर तराजू से ढका होता है लेकेन इसका तराजू छोटा टाइप का होता है ।
  • इसकी अधिकतम लंबाई 1- 2 मीटर होता है।
  • भेटकी पानी का बहुत कम ऑक्सीजन ने भी आछे से जिन्दा रहे सकते है .
  • यह मुख्य रूप से जिन्दा छोटे मछली को खाता है, इस मछली बाजार के मछली का खाना भी खाता है .
  • मानसून के मौसम में भेटकी मछली साल में एक बार अंडे देती है। यह ज्यादातर समुद्र और उसे जुड़े हुए नदी के पानी में उसके साथ साथ मीठे पानी के नहरों, नदियों, झीलों आदि में पाया जाता है।
  • भेटकी मछली का खेती करने के लिए पानी उचाई जादा होना चाहिए .
  • भेटकी मछली के साथ आहार तिलापिया मछली का पालन किया जाये तो . इस प्रकार की पोली कल्चर बहुत फायदा का ब्यबसा होता है.

भेटकी मछली कितना अंडे देते है ?( How many eggs does Vetki fish lay in Hindi?)

भेटकी मछली साल में 1 बार 30000-400000 से जादा तक ओंडे देते है . इस मछली खुले बेहेता हुआ पानी में ओंडे देते हे .

भेटकी मछली का उत्पादन कितना होता है ? ( What is the production of Vetki fish in hindi?)

भेटकी मछली को बाकि आई एम् सी मछली के साथ फार्मिंग नही करने से अच्छे हे. भेटकी मछली एक प्रकार की कार्निवोरुस मछली है , इस मछली छोटा मछली को खा लेते है . इस मछली के साथ तिलापिया फार्मिं करने से आछे है . केबल भेटकी मछली प्रति हेक्टर में 6-8 Ton का उत्पादन कर सकते है. अगर आपने तालाब में आछे अरेसन सिस्टम का उपयोग करते है तो आपका उत्पादन आर भी जादा हो सकते है .

भेटकी मछली के साथ और कोनसा मछली का खेती किया जा सकते है ?( Which fish can be farming with Vetki fish in Hindi)

भेटकी मछली एक प्रकार की कार्निवोरुस मछली है , इस मछली छोटा मछली को खा लेते है . इस मछली के साथ तिलापिया फार्मिं करने से आछे लाभ होते है . कारण तिलापिय मछली बहुत जल्दी बच्चे देते है . और इस मछली बहुत जादा मात्रा में बच्चे देते है , और या बछा को भेटकी का फीडिंग में बहुत काम आता है . और जो बड़ा हो जाते हे उसे तिलपिया खा नही पता , उसे आप बेच सकते है .

भेटकी मछली पालन कैसे करे? (How to do Vetki fish farming in Hindi?)

ब्याबसयिक (commercially) रुपमे आगर भेटकी मछली का पालन करना चाहते हे तो आपको इसके लिए कुछ बिसय के उपर जादा नजर राखना पढ़ेगा जैसे –

मछली पालन के लिए सही स्थान चयन

आप अगर व्यावसायिक रूप से भेटकी मछली का पालन करना चाहते है तो उसके लिए आपको एक अच्छी स्थान  का चयन करना बहुत जरूरी है.-

  • कोई भी मछली का पालन  के लिए  पहेले जमीन के उपर ध्यान दे , जैसे भूमि में जल धारण क्षमता आछा होनी चाहिए, रेतीली और दोमट मिट्टी पर तालाब न बनाएं।
  • जिस शान पे आप भेटकी मछली का पालन करना चाहते है – उस स्थान जितना हो सके प्रदूषण मुक्त रखने के कोसिक करना चाहिए.
  • पूर्ण दिन सूर्य की पहुंच  होना चाहिए
  • और जमीं समतल  हना चाहिए .
  • भारी वर्षा/ बाढ़ वाले क्षेत्रों को ना बचना करना चाहिए।
  • व्यावसायिक रूप से भेटकी मछली का पालन करने के लिए तालाब कम से कम एक एकड़ क्षेत्र का होने से आछा है इसमें मछली का बृद्धि का हार बहुत आछ होगा . छोटे पैमाने पर उत्पादन  करने के लिए आप छोटे जमीन भी ले सकते है .
  • कोई भी मछली पालन के लिए पानी एक होना बहुत जरूरी है, बोर वेल का पानी मीठा पानी का मछली पालन के लिए आछा है.
  • बिजली की कनेक्शन मछली फार्म/ तालाब के पास होना चाहिए.
  • मछली को मार्केट करने के लिए परिवहन का सु ब्यबस्था होना चाहिए.

भेटकी मछली का तालाब का डिजाइन कैसे होगा ? (How to design a Vetki fish pond in Hindi?)

अगर स्थान का चयन हो गया तो आभी आपको तालाब के डिजाइन और निर्माण के साथ शुरुआत करना चाहिए .

भेटकी मछली का तालाब  आप आपका जमीन के उपट गोलाकार , आयत बना सकते है .

तालाब के किनारा सही तरीकेसे करना चाहिए , किनारा हो  सके तो प्लास्टिक पेपर से माल्चिंग करना चाहिये . इसमें आस पास के पानी तालाब के अंदर आने का  कोई डर नही रहेता.

इस मछली के लिए पानी के उचाई 1.5-3 मीटर की होना चाहिए . उसके हिसाब से आपको तालाब बानाना चाहिए .

मछली पालन में पंड टॉयलेट जरुरी है (Pund toilet is necessary in fish farming in Hindi)

आज का दिन में हम लोग उत्पादन जादा करनेके लिए बहुत उच्च घनत्व में मछली का पालन करते है. जादा मछली के फार्मिंग करने के कारण तालाब का निचला हिस्सा में बहुत जादा आर्गेनिक लोड जमा हो जाता है . इसलिए  पोंड टॉयलेट बानाना बहुत जरुरी है . पंड टॉयलेट  बानाने के लिए तालाब के बिच में या जहा पे तालाब का बेकार चीज जमा होने का स्म्भाबना है उहांपे एक कोंक्रिट का गाडा बानाना है . और मछली फार्मिं के समय तालाब के सारे बेकार चीज (फीड वेस्ट , मछली का वेस्ट… ) उस टॉयलेट में जैम जा ता हे और  पम्प देके आप उसे तालाब के बाहर निकल सकते है. इसमें पानी का गुनाबत्ता सही रहेता है और मछली का बीमारी होने चांस बहुत कम हो जाता है .

प्लास्टिक, फाइबर,  कंक्रीट टैंक में मछली पालन (Fish farming in plastic, fiber, concrete tanks in Hindi)

आज का दिन में मछली पालन प्लास्टिक, फाइबर,  कंक्रीट के तालाब में भी होता है। उस के साथ साथ बहुत सारे मछली पालक जादा मात्रा में उत्पादन के लिए  बायोफ्लोक मछली पालन प्रणाली का उपयोग करके छोटे प्लास्टिक या कंक्रीट टैंक, फाइबर या तिरपाल तालाब में मछली का पालन कर रहे है . भेटकी

मछली की पालन अज का दिन में बड़ा बड़ा टेंक बाना के बहुत आछी से हो रहा है .

मछली पालन के लिए तालाब का प्रस्तुती (Pond preparation for fish farming in hindi)

भेटकी मछली का तालाब तैयार करना अपेक्षाकृत कठिन काम है। अगर आपके  तालाब पुराना है तो उसे शुरू में एक मोटर पंप का उपयोग करके  सारे पानी को सुखा दीजिए , इसमें सारे अबंछित मछली और जलीय किढ़े मोकोढ़े मर जाएगा।

  • आभी तालाब का निचले हिस्से का- 4-6 inch काला मिट्टी(Black Soil|) उठा दीजिए .
  • उसके बाद 7-10 दिन तालाब को धुपमें शुखाना चाहिए .
  • तालाब का मिट्टी का PH सही राख्ने के लिए , मिट्टी का PH को टेस्ट करना चाहिए .  पीएच के सुधार के लिए तालाब में  चूना 250-300 किग्रा/हेक्टेयर की हिसाब से देने  होगा .
  • मिट्टी का PH 7- 7.5 के बीच होना चाहिए।
  • तालाब का पानी का गहराई  1.5 मीटर से जादा  नही होने से आछा है .
  • बोरवेल का पानी होने से सबसे आची है.
  • तालाब को प्राकृतिक रूप से खाना से भरपूर करने के लिए आपको प्लांकटन बनाना चाहिए . इसके लिए आर्गेनिक  खाद और रासायनिक खाद डालना महत्वपूर्ण है।
  • तालाब में पानी भरने के बाद महया तेल का खली 2500 kg / Hector के हिसाब से तलब में दे सकते है , इसमें तालाब में सारे अबंछित मछली किढ़े मकोढ़े मर जाएगा . और तालाब में 7-10 दिन के अंदर बहुत सारे प्लांकटन प्रस्तुत हो जायेगा . एय मछली के खाना के लिए मना जाता है .
  • और नही तो आप तालाब में पानी भरने के बाद , तालाब में चूना, कच्ची गाय का गोबर, यूरिया, और सिंगल सुपरफॉस्फेट को : 300 किग्रा / हेक्टेयर, 2000 किग्रा / हेक्टेयर, 25 किग्रा / हेक्टेयर, और 30 किग्रा / हेक्टेयर की हिसाब से डालना पढ़ेगा.
  • इसके बाद 10-15 दिन के बाद तलब के पानी का रं हर हो जाएगा .
  • आभी आपका तालाब बाच्चा डालने  के लिए रेडी है .
  • तालाब में प्लांकटन सही मात्रा में राखने के लिए बिच बिच में रसायनिक खाद की उपयोग करना बहुत जरूरी है .
  • तालाब में बर्ड नेट और साइड नेट देना बहुत जरुरी है .

पाबदा मछली पालन का बिजनेस केसे करे?

भेटकी मछली पालन करने का तरीका (Process of Vetki Fish Farming in Hindi)

ब्याबसयिक रुप में भेटकी मछली मनो कल्चर में आछे से होता है , भेटकी मछली एक साल में 1-1.5kg तक हो जाता है . और प्रति हेक्टर में 6-8 ton मछली उत्पादन कर सकते है . साधारण रुप में भेटकी मछली मीठा और खरा दोनों पानी मे होता है, . PH:7-8 होने से मछली का उत्पादन आच्छा होता हे.  26-32 Centigrade तापमान में इसका ग्रोथ सबसे अच्छा होता है .

भेटकी मछली की बिज काहा मिलेगा (Where we will get Vetki seeds in hindi)

भेटकी मछली की बिज साधारण रुपमे प्राकृतिक रुपमे में नदी में मिलता है , और एय सीड सीड पछिम बंगाल में बहुत जादा मिलता है. लेकिन आभी बहुत सारे हेचारी भी भेटकी मछली का बिज को बना के बेच रहा है .

नर्सरी मेनेजमेंट

नर्सरी तालाब की आकर 1000-2000 sq meter होना चाहिए.

नर्सरी में छोटा बाछा चोरने से पहेले पानी को आछे से प्रस्तुत कर लीजिए , सही मात्रा में प्लैंकटन होना चाहिए .

पानी को कोई भी जिबाणु नाशक जेसा सेनितिजेर के प्रयोग से जिबाणु मुक्त करन चाहिए .

कोई भी मछली का नर्सरी का समय दो धाप से होना चाहिए .

पहेले धाप में छोटा लार्वा बच्चा को 400-500/sq meter के हिसाब से डालना .

छोटा बाच्चा पानी में जू प्लैंकटन खाते है , उसके साथे आप उसे मछली को बॉईल करके खिला सकते है .

जब इसका बजन 1gm तक हो जायेगा , तब उसको सुसरे नर्सरी ताबाब में 150-200/sq meter के हिसाब से छोड़ देना चाहिए.  

नर्सरी स्टेग में जादा पानी का अदला-बदली नही करना चाहिए . जब तक पानी का गुनमान बहत खाराप ना हो जाए . इसमें बाच्चो को जादा स्ट्रेस होता है.

भेटकी मछली की खेती कैसे करे

नर्सरी का पहेला स्टेज में आप पाउडर फर्म का बाजार का फीड दे  सकते है . मुरेल का ओ भी खा लेते है . बच्चा जब एक ग्राम का आप पास हो गायेगा तब  .6mm -.8mm का खाना दे सकते है .

2 महिना का नर्सरी में 60-70% मछली फिंगर लिंग तक बन जाएगा . इसे  आपको बढ़ा तालाब में छोड़ दे ना चाहिइ .

कल्चार तालाब मेनेजमेंट (Culture pond management for Vetki Farming in Hindi)

कल्चार तालाब का आकर 1500sqm – 10000sqm तक होना चाहिए .

कल्चार तालाब में आप ३० -40pcs/sqm में दाल सकते है .

अच्छा अरेसन (aeration) सिस्टम के साथ मोनो कल्चार में 40-60pcs/sqm में डाल ना चाहिए.  

6-8 months में अगर सही कल्चार में  5-6 ton/hector उतपादन कर सकते है .  

भेटकी का फीडिंग मेनेजमेंट (Feeding Management for Vetki Farming in Hindi)

भेटकी मछली फाइटो प्लांकटन को जादा पसंद नही करते है लेकिन जू प्लांकटन बहुत आछे तरे से खाते है , इसलिए भेटकी मछली का पालन में आपको तालाब में जू प्लांकटन का उपर जादा नजर देना पढ़ेगा. और जू प्लांकटन बनाने के लिए आपको फाइटो प्लांकटन बनाने का जरुरत है . और भेटकी मछली को जिन्दा छोटा मछली को खिलाना पड़ेगा , इसलिए आपको तालाब में बहुत छोटा साइज का बच्चा छोड़ना पड़ता है , ओर यह काम आपको बिच बिच में करना पड़ेगा.

साधारण रूप में भेटकी का तालाब में ई एम् सी मतलब रोहू, कतला और मृगेल का बहुत बच्चा को 15-20 के इंटरवेल में छोरा जाता है . अभी जो हचारी का बच्चा आ रहा है उसे बाजार की पेलेड खाना दे सकते है . लेकेन भेटकी का सबसे आछा खाना है छोटा जिन्दा मछली . मछली 30-50 gm का होने से तालाब में तिलापिया मछली का छोर दिया जाता है , और तिलापिया जब बच्चे देते है तब उसको इस भेटकी मछली खाते है. आप अगर जादा मात्रा में भेटकी का पालन करना चाहते है तो आपको आलग से छोटा मछली का प्रबंध करना चाहिए . उसे उसका ग्रोथ बहुत जल्दी होता है. खाना हर समय उसके बजन के अनुसार होना चाहिए . आपको प्रोटीन , कार्बोह्य्द्रेड  का परसेंटेज सही मात्रा में देना चाहिए . साधारण रूप में भेटकी मछली की FCR 1.5:1.8 होता हे.

 भेटकी फिश का फीडिंग चार्ट (Vetki Fish Feeding Chart in Hindi)

Fish Weight (gm) Feed size (nm)Feed Percentage / Body  weightProtein Percentage
5-101.57%32%
10-2026%32%
20-3025%32%
30-4034%28%
50-10033-5%28%
100-20042-5%28%
200-30042%28%
300-40041-5%28%
400-60041-5%28%
600-70041-5%28%
700-80041%26%
800-100041%22%

पानी का सही मेनेजमेंट बहुत जरुरी है ? (Vetki Fish Farming water management in Hindi)

सभी मछली के जेसा भेटकी मछली पालन में भी पानी का स्थिति को सही राखना बहुत जरुरी है. इसके कारण पानी सारे पेरामीटर को सही राखना होगा .

निचे  पानी का पेरामीटर  देख ले –

मछली पालन के लिए पानी का पेरामीटर चेरत

DO –  4-8ppm (parts per million)

Temperature  – 28-32  C ( Ideal)

PH – 6.5-8.5

Alkalinity  – 50-300 mg /lit ( ideal)

Ammonia  – 0 – 0.5 mg / lit

No2 (Nitrite ) <1

No3 ( Nitrate) <100

भेटकी मछली पलने में रोग और उपचार (Diseases And Treatment Of Vetki Fish Farming in hindi)

मछली पलने में साधारण रूप में रोग बहुत कारण से आ सकते हे. लेकिन रोग आने का सबसे जादा जो कारण हे ओ पानी का पेरामीटर का स्थिति सही नही रहेना . इसलिए मछली का बीमारी के प्रोटेक्ट करने के लिएय सबसे पहेले  हमलोग को पानी का पेरामीटर का उपर जादा ध्यान देना जरूरी है .

फिर भी कभी कभी बीमारी आ जाते है  जेसा –

टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)

टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)
टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)

लक्षण :

पूंछ और पंख का सड़ना

पंख के कोने पर हल्का सफेद रंग दाग दिखती है,

उसके बाद  पंख के चारों ओर में  फैल जाता है, कुछ दिन बाद पंख शरीर से गिर जाता है।

उपचार :

0.5% कॉपर सल्फेट से उपचार किया जाता है।

मछली को उपचारित पानी में 2-3 मिनट के लिए डुबोया जाता है।

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है .

गिल रोट (Gill rot)

लक्षण :

गिल रोट (Gill rot)
गिल रोट (Gill rot)

ग्रे(Grey) रंग के गलफड़े होते हैं और फिर अंत में गिर जाते हैं।

मछलि सांसें नही ले पाते, मछलि सांसें लेने के लिए पानी की ऊपरी परत पर आ जाती हे.

 अंत में सांस फूलने से मर जाती .

उपचार : मछलियों को 5-10 मिनट के लिए 3-5% खारे पानी में डुबोया जाता है ताकि बीमारी का इलाज किया जा सके।

एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)

लक्षण :

एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)
एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)

शरीर पर लाल रं का छाले.

त्वचा और पंख  गिर जाता है .

अंत में मछली की मृत्यु।

उपचार:

200 gm/sqmter चूना पानी में डालें

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है .

और पानी में रासायनिक  खाद न डालें

सफेद दाग शरीर में (White spot disease):

लक्षण :

मछली की त्वचा, पंखों और गलफड़ों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं।

उपचार:

मछली को फॉर्मेलिन के घोल में 0.02% की दर से 7-10 दिनों के लिए 1 घंटे के लिए डुबोएं।

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है

भेटकी मछली का मार्केटिंग कैसे करे ? ( Vetki fish Marketing in Hindi)

भेटकी मछली का मार्केटिंग डिमांड बहुत जादा है, इसलिए इस मछली को मार्केटिंग के लिए कोई समस्या नही होता. आप आपका कोई भी पास का मंडी में इस मछली बिक जाता है, और आभी का दिन में १कलो सेज का कतला मछली का होल सेल प्राइस है rs. 450-500 / kg .

भेटकी मछली पालन में लाभ कितना होता है ?( What is the profit in Vetki fish farming in Hindi?)

सही तरीका से भेटकी मछली पालन किया जाये तो ला का परिमाण बहुत जादा होता है . अगर एक हेक्टर का फार्मिं किया जेर तो इसमें खर्चा तिन लाख तक होता है , और एक साल में मछली बेचने के बाद 10-12 लाख तक मुनाफा ले सकते है .

Q. भेटकी मछली का वैज्ञानिक नाम क्या हे ?

Ans. – Lates calcarifer

Q. भेटकी मछली प्रती हेक्टर कितना उत्पादन कर सकते हे ?

Ans भेटकी मछली , आगर एरेसन सिस्टम आछा रहेगा तो प्रति हेक्टर से 6-8 Ton उत्पादन ले सकते है .

Q. Tank में भेटकी मछली का पालन हो सकते है ?

Ans Tank में भेटकी के पालन होता है . इस मछली के पालन के लिए बढ़ा आकर का तालाब और टैंक होगा तो मछली का ग्रोथ बहुत जादा होता है .

Q. भेटकी मछली का रेट

Ans,. – भेटकी मछली का होल सेल रेट rs. 450-550 तक होता है .

मछली पालन की बिज़नस कैसे सुरु करे?

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