जीतास्टमि पूजा कैसे मानाया जाता है 2022 ? | How Celebrate Jita Ashtami Puja in Hindi 2022?)

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 “जीतास्टमि पूजा कैसे मानाया जाता है “ आज का इस आर्टिकल में हामने जीतास्टमि  पूजा का बारे बोलेंगे |  इस प्रकार के पूजा लगभग पुरा भारत में होता है लेकिन जादातर  इस पूजा बंगाल में होता है , बंगाल में  आज से कुछ साल पहेले भी इस पूजा बहुत रोसनाई के साथ मानाया जाता था| लेकिन दिन के दिन इस पुजा समाज से कम होते जा राहा हे |  आप आगर इस पूजा का बारे में जानना चाहाते  है तो इस आर्तिक्ले को अंत तक पढ़ीइ गा | हाम  जीतास्टमि  पूजा का बारे में आप को सारे जानकारी देंगे |

जीतास्टमि पूजा कैसे मानाया जाता है ? (How Celebrate Jita Ashtami Puja in Hindi?)

जीतास्टमि  पूजा बंगाल का हिन्दू समाज का महिलाओं के ब्रत पूजा है |इस पुजाओको  बंगाल का हिन्दू साधबा महिलाओं ने ब्रत राखके मानाता है| कथित है माता सस्ती (sasti) गर्भबती महिलाओं और छोटे बाछो की रक्षा कारी देवी बोलके माना जाता है |बंगाल के गाँव की महिलाओ आपने बाछो और परिबार के मंगल के लिए इस पूजा का बरत राखते है |

जीतास्टमि  पूजा बंगाल में कहापे जादा  मानाया जाता है ? (Jita Ashtami  Celebrate  which place in Bengal in Hindi?)

जीतास्टमि  पूजा  बंगाल में हर जिला में कम जादा होता है और इसका ब्रत मानाया जाता है ?  लेकिन  पुरुलिया जिला में इस पूजा बहुत जादा होता है |

जीतास्टमि  पूजा  कोनसा समय  मानाया जाता है ? ( Timing of Jita Ashtami   Puja in Hindi)

जीतास्टमि  पूजा  पुरुलिया जिला में दुर्गा पूजा से पहेले कृष्ण नब्मी के पहेले बाले दिन मानाया जाता है , यानी की जीतास्टमि  पूजा के बाद कृष्णा नब्मी होता है | और इस नब्मी में कुछ कुछ जगा में दुर्गा पूजा का शुभा-रंभ होता है इसको बोधोन बोला जाता है | इको काही काही जगा में बढ़ा सस्ठी भी बोला जाता है |

जीतास्टमि  पूजा की बिधि (Method of Jita Ashtami Puja in Hindi)

जीतास्टमि  पूजा की बिधि में घर और  मंदिर के सामने  गाडा किया जाता है | और इस गाडा को बनाने के समय सुध होक नया बस्त्र पेहेनके पूजा करके किया जाता है | जिस दिन गाडा बनाया गा उस किन सुभे से बिलकुल उपबास राखके ये काम करते है | इस गाडा के अन्दर बॉट पेड़, धान,  गन्ना, शाल, शालुक या सारे पेड़ और पेड़ के शाखा को इस गाडा के अन्दर राखा जाता है | इसको जीमूत बाहन की प्रतिक के रूप में माना जाता है | इसके बाद इसको बन से लाया गया नाना प्रकार के फल, फूल, लताए, भीगा हुया चाना, खीरा के साथ पूजा किया जाता है | सारे दिन और रात उपबास रहेने की बाद अगले दिन नदी या तालाओ में नाहा के ब्रत को ख़तम करते है | या बंगाल एक प्राचीन पूजा है , 100 साल से जादा इस पुराना पूजा आभी भी भक्ति के साथ मनाया जता है | लेकिन पहेले जेसा जादा संख्या में पूजा आभी  नही होता है |

Conclusion –  जीतास्टमि  पूजा   बंगाल  और भारत की एक प्राचीन पूजा है इस पूजा को बंगाल में मानाया जाता है , इस पूजा  बचाया राख्ने के लिए बंगाल का सरकार की तरफ से सहायता किया जाता है |

Q.- जीतास्टमि कब मनाया जाता है ?

Ans.- जीतास्टमि को जिवितपुत्रिका व्रत बोला जाता है , जिसे जितिया व्रत के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

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