बैंगन की खेती की बिजनेस कैसे करे? 2022 | How Start Brinjal Farming Business in Hindi? 2022

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बैंगन की खेती की बिजनेस कैसे करे? 2022 ( How Start Brinjal Farming Business in Hindi? 2022)

“बैंगन की खेती की बिजनेस कैसे करे?” इस आर्टिकल में आज हाम बेंगान का खेती से जुढ़े  सारे जानकारी देंगे| दैनिक आहार में सब्जी को राखना बहती जरूरी होता है, बहुत सारे पुस्ती गुण जेसा विटामिन्स , मिनारेल्स इस सब्जी से मिलता है| हमलोग दैनिक आहार में बिभिन्न प्रकार का सब्जी खाने में राखते है , इसके अन्दर बैंगनएक है | दुनिया में बैंगन का सबसे जादा खेती होता है चीन में दुनिया का  58.55% बैंगन चीन में होता है, उसके बाद भारत में 25.24% बैंगन का खेती होता है |भारत में बैंगन का खेती होता केबल पाहाढ़ी इलाका छोरके सारे भारत में होता है | हमलोग जानते है बैंगन हर रोज खाने का चीज है, इसलिए इसका उत्पादन बहुत जादा होता है और बाजार में मांग भी बहुत जादा है | आप आगर बैंगन की खेती का बिज़नस करना चाहते है आपको इसका जलबायु , खेती का तरिका , खेती का समय सारे कुछ जानना पढ़ेगा| इस आर्टिकल में हाम इस सारे बीसय में चर्चा करेंगे |

बैंगन का खेती करके आप लाख कामइ करे ( Benefit of Bringal Farming in Hindi)

आप अगर खेती करके  लाख कामाना चाहाते है तो आप बैंगन का खेती कर सकते है | किउकी आप साल भर इस बैंगन का खेती कर सकते है और बाजार में इसका डिमांड भुत जादा है |

बैंगन का खेती के लिए जलबायु ?( Climate of Bringal Farming)

बैंगन एक गर्म मौसम की फसल है |  लंबा गरम की मौसम इस फसल के लिए बहुत लाभ दायक है | 13-22 डिग्री सन्त्रिगेद  में बैंगन का फसल आछा फलन देती है | 15 डिग्री सन्त्रिगेड से निचे अगर तापमान गिर जाते है  तो फसल का ब्रिधि में प्रभाबित करती है |  बैंगन का फसल  गर्मी और बारिश का मौसोम में ले सकते है |

कोनसा मौसम में बैंगन के लिए आछा है ?( Season and Time of brinjal Farming in Hindi)

बैंगल साधारण रूप में गर्मी और बारिश का फसल है| फिर भी  बैंगन को साल भर खेती कर सकते है | फरवरी से नवंबर तक बैंगन का खेती आछि होता है |

बैंगन की खेती के लिए मिट्टी ( Soil of brinjal Farming in Hindi)

बैंगन की खेती लिए दोमोट मिट्टी सबसे आछी है| जिस मिट्टी जादा कार्बोनिक है  उसी मिट्टी में बैंगन आछा होते है | बेंगल लंबा समय का फसल है और बारिस का समय भी उसका फसल आछी से फलन देती है | बैंगन की खेती के लिए आछी जल निकासी का इन्तेजाम होना चाहिए | आछी फलन के लिए मिट्टी का PH  परिख्सा करना जरूरी होता है | PH  5.5-6.6 होने से सबसे आछे होता है |

बैगन की उन्नत किस्में (Varieties of  brinjal Farming in Hindi)

बैंगन की बहुत सारे उन्नत किस्मे की बिज मिलता है | जैसा

 IARI दुयारा प्रस्तुत किया  : Pusa Shymala, Pusa Purple Long, Pusa Purple Cluster, Pusa Kranti, Pusa Bhairav, Pusa Anmol (H), Pusa Hybrid 5 (long), Pusa Hybrid 6 & 9 (round)

IIHR दुयारा प्रस्तुत किया   : Arka Sheel, Arka Shirish, Arka Kusumkar, Arka Navneet (Hybrid), Arka Nidhi, Arka Keshav, Arka Neelkanth

 PAU दुयारा प्रस्तुत किया   : Punjab Chamkila, Punjab Sadabahar, Punjab Barsati, Punjab Neelam, PH – 4, Selection – 4

GBPUAT दुयारा प्रस्तुत किया  , Pantnagar : Pant Samrat, Pant Rituraj, Pant Brinjal Hybid – 1

एय सब छोरके भी   Hisar Jamuni, Hisar Shyamal Azad Kranti, T – 3, Annamalai, Surya, Phule Hybrid 1, Aruna, Manjarigota भुत आछे किस्मे की बैंगन है |

और  Himachal Pradesh पाहाढ़ी चेत्र में : Pusa Purple Long, Pusa Purple Cluster, Pusa Kranti, Pusa Anupam, T – 3, Arka Keshav, Arka Nidhi, Hisar Shyamal बहुत लाभ दायक होता है |

Odisha खेत्रिया के लिए  : Utkal Tarini (BB-7), Utkal Keshari (BB-26), Utkal Madhuri (BB-44), Utkal Jyoti (BB 13), Utkal Anushree (BB 45C), Pusa Purple Cluster, Pusa Purple Long इस प्रजाति का बैंगन आछा फलन देती है |

Kerala में Surya, Swetha, Haritha, Neelima प्रजाति के  बैंगन आछे फलन देती है |

Andra Pradesh , Telangana में  : Bhagyamati, Pusa purle Long, Green Spiny, Polur (local preferred) variety) किस्मे लाभ दायक है |

बैंगन की खेती में खाद की प्रयोग ( Pesticides of brinjal Farming in Hindi)

बैंगन एक लम्बी समय का फसल है इस लिए खाद का इसमें जादा नजर राखना चाहीइ | 1 हेक्टर जमिन पे तकरीबन 150 किलोग्राम का नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम का पोटाश और 75 किलो फास्फोरस और  250 कुइंताल साढ़ा हुआ गोबर की खाद की जरुरत है | इस खाद का अगर सही से इएन्तेजम किया जाए तो बैंगन का फसल साइज और संख्या में बढ़ा और जद्दा होता है |

बीज का प्रबंध ( Seeds of brinjal Farming in Hindi)

हर सब्जी का खेती के लिए बीज बहुत जादा कीमत राखते है | बैंगन की खेती के लिए आप भी आछा किस्मे की बिज चयन की जिए | 1 हेक्टर खेती के लिए400-500 gm  सीड का जरुरत होता है |

सीड को इस्तेमाल करने से पहेले उसका ट्रीटमेंट करना बहुत जरूरी है |

सीड को मिट्टी फंगल संक्रमण से बाचाने के लिए Trichoderma viridae  और T. harzianum  का प्रोयोग जरुर की जिए|  2gm Trichoderma viridae  और T. harzianum   100gm  सीड के साथ मिला ली जिए | इसमें  फंगल संक्रमण नही होगा पोदा पे |

बैंगन पौदे की लिए नार्सारी ( Nursery of brinjal Farming in Hindi)

बैंगन का पौदा रोपिया के लिय नार्सारी बहुत जरुरी है | इस लिए पहेले नर्सारी बीएड में बीज को बोया जाता है | पानी जमा होने का समस्या दूर करने के लिए | नार्सारी बेद को उचाई राखना बहुत जरूरी है | और नार्सारी बेद के लिय रेतीली मिट्टी सबसे आछा होते है | और आप कोकोपित का चोट्टा प्लास्टिक पात्र में बुयाई कर सकते है | 15-20 Centimeter  उचाई में 1.7×1.2 मिटार का बेड को आछी नार्सारी माना जाता है | एसे 1हेक्टर के खेती के लिए 10 नर्सारी बेड होना जरूरी है|   दो बेड के अन्दर 90 सेमी का दुरी होना जरुरी है | वेड बनाने का समय बेड के मिट्टी के सार आछे से देकोम्पोसेद काद और FMO /  भार्मी कम्पोस्ट देना  जरूरी है | सीड को सुस्ता रहेने के लिए बेभिस्तिन 10-15gm  प्रति 10 लीटार पानी के साथ नार्सारी बीएड में छिर्काओ किजिए | बुवाई पतली-पतली पंक्तियों में 5-7 सेंटीमीटर की दूरी पर कीजिए । बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोया जाता है और मिट्टी की एक महीन परत से ढक दिजिए , इसके बाद पानी के कैन से हल्की सिंचाई कीजिए । लेकिन बीजो को 2-3 सेंतिमितटर से जादा मत कीजिए गा | बीजो के लिए तापमात्रा एक बहुत एहेम चिग होते है | आवश्यक तापमात्रा  और नमी बनाए रखने के लिए घास या गन्ने के पत्तों, धान के पत्तें से ढक देना चाहिए। अंकुरण पूरा होने तक आवश्यकतानुसार पानी के कैन से पानी देना दीजिए । अंकुरण

 पूरा होने से सुखी पत्तें हटा दीजिए | साधारण रुपमे 4-6 सप्ताह की बाद 2-3 पत्ता दिखाई देती है , और पौध 15 सेमी तक उचाई ले लेती है | आब पौध को रोपाई करने के लिए सोच सकते है |   

बैंगन के खेती में रोपाई कैसे करे ? ( Planting of brinjal Farming in Hindi)

बैंगन के खेती में रोपाई से पहेले जमीन को कुछ समय का अंतर दो बार जुताई कर लीजिए और जमीन को जुर जुरा कर लीजिए | आभी कंपोज्ड खाद जैसे गोबोर , FYM का प्रोयोग की जिए और एक बाद जमीन को समतल राखने  कोसिस कीजिए |

  • बैंगन के रोपाई के लिय दो पौधा दुरी होना बहुत जरुरी है|
  • लम्बा किस्मे की बैंगन की लिए पौधा से पौधा का दुरी होता है 60×40 cm
  • गोल किस्मे की बैंगन की लिए पौधा से पौधा का दुरी होता है 75×60 cm
  • अधिक फलने बाले  किस्मे की बैंगन की लिए पौधा से पौधा का दुरी होता है 90×90 cm
  • मिट्टी अगर रोपाई से पहेले शक्त हो जाए तो आप हालका सिचाई कर सकते है| रोपाई से पहेले पौधो की जड़ को बेविस्तीं और पानी का मिश्रण ( 2 gm / liter) में डुबो के फेर रोपाई करना चाहिए | कोसिस की जिए शाम का समय पौधा को रोपाई कीजिए |

बैंगन के खेती में खाद का मात्र ( Amount of  Pesticide of brinjal Farming in Hindi)

जमीन में जितना जादा जैविक खाद होगी उतनी आछी फलन होगा | प्रति हेक्टर में 10 टन FYM का मिश्रीं करने से खेत को को आछा उर्ब्रासक्ति मिलता है | सबसे जादा फलन के लिए प्रति हेक्टर में

  • 150 kg  Nitrogen
  • 100kg phosphorus,
  • 50kg potassium 

की जरुरत पढ़ता है |

Nitrogen – रोपाई से पहेले 50% खाद देना जरुरी है |  उसके बाद बाकी 50%  को 3 भाग में भाग किया जाते है पहेले भाग रोपाई के 1.5 महीना बाद , दुसरा भाग 2.5 महीना बाद , तीसरा भाग 3.5 माहिना बाद दिया जाते है |

    Phosphorus – रोपाई से पहेले पूरी मात्र दी जाते है|

·    Potassium –   रोपाई से पहेले पूरी मात्र दी जाते है|

हाइब्रिड उछ फलने बाले बैंगन के लिए –

·       200 kg  Nitrogen ,

·     100 kg phosphorus,

·    100 kg potassium

बैंगन का खेती का सिचाई ( Irrigation of brinjal Farming in Hindi)

बैंगन का खेती के लिए सिचाई बहुत एहेम चीज होता है |

बैंगन का पौधा की चारी पास हर समय नमी राखना जरुरी है |

 रोपाई के दिन और रोपाई के 3दिन बाद फेर सिचाई देना जोरुरु है |

गर्मी का समय 5-6 दिन का अन्दर और सर्दी का समय 8-10 दिन का अन्दर सिचाई सबसे आछा है |

अगर बैंगन का खेती में टपक सिचाई प्रणाली उपयोग करते है तो सिचाइ का खर्चा बहुत इ कम होना है | और सरकार ने टपक सिचाई बिधि के लिए योजना भी चालु किया | उसका भी लाभ उठा सकते है |

खरपतबार मुक्त खेती ( Weeds Cleaning of brinjal Farming in Hindi)

रोपाई के बाद जॉब पौधा का ब्रिधि होना सुरु होगा| तब खेत में खरपतबार का आधिक्य हो सकता है | आपको बीच बिच  में जमीन को देख ना चाहिए, और खरपतबार होने से उसको निकाल दी जिए | फसल को खरपतवार मुक्त रखने के लिए तिन –चार  निराई-गुड़ाई के जरुरत हो सकती है । खरपतवारों के नियंत्रण के लिए खरपतबार नासक फ्लुक्लोरालिन (1.5 किग्रा a.i./ha) का पूर्व-उद्योग और रोपाई के 30 दिन बाद एक हाथ से निराई करने का जरुरत होता है।

कीट और रोग से कैसे बैंगन का खेती को बाचे ? (How to save the cultivation of brinjal from pests and diseases in Hindi?)

मुख रुपमे बैंगन का खेती में  पेढ़ और फल और बेधक कीट, जस्सिड, एपिलाचना प्रभ्र्ती किट का समस्या होता है|

बैंगन के खेती में रोग और उसके रोकधाम (Disease and its prevention in the cultivation of brinjal in Hindi)

जड़गाठ रोग

इस प्रकार का रोग में बैंगन का पौधे पीले पढ़ जाती है | और पौधो के बाढ़ बंध हो जाते है | और जड़ में गाँठ बन जाते है इसको निमातोद भी बोलते है |

रोकधाम – फसल ख़तम होनी की बाद दो से तिन बार  आछी से जुताई करने से और निम् की खाल्ली जमीन पे दालने से निमातोद ख़तम हो जाते है |

छोटी पत्ती व मौजेक रोग

बैंगन की पौधा में इस प्रकार की रोग से पौधा पूरी तारा बैना  हो जाते है पौधा और पात्ते पीले पढ़ ताहे है | फसल बहुत इ कम परिमाण होते है |

रोकधाम –

इस प्रकार का बिमारी के लिए  पहेले इस बिमारी को फेलना बांध करना पढ़ेगा|   पहेले पौधा को जड़ से उठा केनस्ट कर दी जिए | रोपाई से पहेले प्रति लीटर पानी में 500ml Tetracycline  मिलके जड़ को कुछ समय डूबा को राखिए गा | और सफेद मक्खी से बांचने के लिए 15 दिन का अन्दर अन्दर  प्रति एकर में 200-300 मिली पानी में 400मिली मैलाथियान ईसी जरूर छिड़के|

बैंगन का खेती का कैसे सुरक्षा करेंगे? ( How to protect Bringal Farming ?)

नार्सारी का सुरक्षा –

  • अच्छी जल निकासी का बंदोबस्त  के लिए हमेशा जमीन से लगभग 10 -15  सेंटीमीटर ऊपर उठी हुई नर्सरी बेड तैयार करना जरूरी है | आगर जा डा बारिस भी हो जाए बीज और पौदा सुस्त रहे |
  • मिट्टी का सोलारिजेसन बहुत जरुरी है , इसमें मिट्टी से पैदा होने वाले कीड़ों, बैक्टीरियल विल्ट और नेमाटोड जैसी बीमारियों को कम करने में मदद मिलेगी|  इसलिए  जून के दौरान तीन से चार  सप्ताह के लिए नर्सरी बेड को 0.45 मिमी मोटाई की पॉलिथीन शीट से ढक दें इसमें  मिट्टी के सोलारिजेसन हो जाएगा । लेकिन इसमें इस बाद याद राखना जरुरी है सोलारिजेसन के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद हो।
  • 3 किलो गोबर की खाद के साथ  250 ग्राम फफूंद नासक  ट्राइकोडर्मा विराइड मिलाएं और 7 दिनों के लिए छोड़ दें। 7 दिनों के बाद 3 वर्ग मीटर की बेद में मिट्टी के साथ  मिला दें।

पौधा के खेती में –

  • शिकारी पक्षियों के  लिए  कम से कम 10 बर्ड पेर्चासे /एकड़  करना बहुत जरूरी है इसमें किट मकढ़ा का प्रोकोप कम होता है |
  • Delta and yellow sticky traps कम से कम प्रति आकार में 2 होना चाहिए , इसमें खेत में किट प्रोकोप बहुत कम हो जाते है और कोई भी ओसोधी प्रोयोग बिना |
  • चूसने वाले कीटों के खिलाफ 5% एनएसकेई के प्रति महिना में एक बार छिड़काव करें।
  • नीम के तेल (2%) का प्रयोग बेधक किट के प्रकोप को कम करने में भी सहायक होता है। यदि लीफ हॉपर और अन्य चूसने वाले कीटों का प्रकोप अधिक है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल @ 150 मिली / हेक्टेयर डालें।
  •  निम् का खली उपयोग कर सकते है निमातोद जेसा बिमारी को बंद करने के लिए |  प्रति हेक्टर 250 kg  नीम का खाली दे सकते है , लेकिन जादा गर्मी के समय इसको उपयोग मत की जिए |
  • आप एक जमीन हर साल केबल बैंगन ही फार्मिंग करेंगे तो किट का प्रोकोप बरते जाएगा | इस लिए फसल का आबर्तन करना बहुत जरुरी है|
  • आर्गेनिक खाद की जादा उपयोग ,  मल्चिं का उपयोग और ब्लीचिंग पाउडर के उपयोग से बैक्टीरियल बिमारी का प्रतिरोध कर सकते है|

बैंगन का तुराई  कब करे ?( Harvest of Brinjal Farming in Hindi)

बैंगन की प्रजाति के अनुसार 120-130  दिन के अन्दर फसल ले सकते है | सारे फसल एक साथ बाजार के लिए पौधा से तोराइ  नेही कर सकते | फसल को फसल का रंग और उसको हातो से परख करने से समज में आता है| प्रति 10-15 दिन का अंतराल में फसल का तुराई करना पढ़ता है | आलग आलग किस्मे के उपर निर्भर करके 20-30 टन प्रति हेक्टर से फलन ले सकते है |

बैंगन खेती की लागत ( Cost of Brinjal Farming in Hindi)

बैंगों की खेती की लागत के बारे में चर्चा करने से आपको पहेले कितना जमीं के ऊपर आप खेती करेंगे ओ स्थिर करना बहुत जरूरी है| जितना जादा जमीन में आप खेती करेंगे उतना ही आपका लागत जादा लगेगा और अपका मुनाफा उतना ही जादा मिलेगा | हम लोग 1 एकर के हिसाब से सारे खर्चा का कैलकुलेशन करेंगे |

सीड  कस्ट और सीड ट्रीटमेंट कस्ट  – 1600.00 

 मजदूर का खर्चा 16 लेबर का खर्चा  – 16×300 = 4800.00

जमीन का खर्चा 5 महिना के लिए – 10000.00

खाद और ओसोधी का खर्चा – 6500.00

फसल हारवेस्ट का खर्चा – 3000.00

फसल बाजारजात करने का खर्चा – 4000.00

अतिरिक्त खर्चा –  12000.00

आब 1 एकर बैंगन की खेती के लिए  सब कुछ किलाके 41900.00 रुपिया का कर्चा होता है |

बैंगन के खेती से मुनाफा कीटाण होता है ? ( Profit of Brinjal Farming in Hindi)

बैंगन का खेती से बहुत आचे कामाई होती है | अगर आप एक एकर का खेती करे तो आपको 10000 kg  के आस पास बैंगन उत्पादन होना चाहिए |  आगर आप का बाजार में 20  रुपिया कर के भी बेच सकते है तो आपका नेट आय होगा  10000×20= 200000

आपका नेट प्रॉफिट होगा 200000-41900=158100.00

Conclusion –  हर खेती में अगर आप सही प्रकार से और मेहेनोत से करे तो आपको आछा लाभ हो सकते है | आपको खेती का आधुनिक उपाय को चयन करना चाहिए|

FAQ

Q. भारत में बैंगन उगाने का मौसम

Ans. – बैंगन एक गर्म मौसम की फसल है और इसके लिए लंबे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है

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