रोहू मछली पालन की बिजनेस कैसे करे? | Rohu fish farming business in Hindi?

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रोहू मछली पालन की बिजनेस कैसे करे? (Rohu fish farming business in Hindi?)

“रोहू मछली पालन की बिजनेस कैसे करे?” आजका इस आर्टिकल में रोहू मछली पालन की बिजनेस के बारे में बिस्तार रुपमे आलोचना करेंगे. आगर आने रोहू मछली पालन की बिजनेस के बारे में जानना चाहते है तो इस आर्टिकल के जरुर अंत तक पढ़िये ग. आपको रोहू मछली पालन की बिजनेस के बारे में प्रुनी जानकारी मिल जाएगी. भारत में रोहू सबसे जादा लोकप्रिय मछली है , इसे साधारण रुपमे भारत में रोहू के नाम पे बोला जाता है ,  इसका बहुत सारे नई प्रजाति भी है . जैसे देशी रोहू, जयंती रोहू, पियासे रोहू और भी बहुत सारे है। रोहू एक प्रकार की मीठे पानी के  मछली प्रजाति है. इस मछली आई एम् सी (Indian Major Carp) मछली  परिवार के सदस्यों है . अगर मछली फार्मिंग की  अच्छा बाताबरण में इस मछली बहुत जल्दी बढ़ा हो जाता है.

Rohu fish diagram –

रोहू मछली खाने के फायदे (benefits of eating Rohu fish in Hindi)

रोहू मछली किसी भी परिबार के सभी सदस्य के लिए एक स्वस्थ आहार है . इसमें बहुत सारे खाद्य गुण रहेता हे  जेसे –

  • एय एक ओमेगा 3  का आछा सौसे है .
  • प्रोटीन से भरपूर
  • लो फट (low fat)
  • saturated fat बहती कम
  • शून्य कार्बोहाइड्रेट
  • कम कोलेस्ट्रॉल
  • शून्य सोडियम
  • 60% कैलोरी प्रोटीन से मिलता हे
  • 40% कैलोरी fat से मिलता हे

कोण कोण देश में रोहू मछली का पालन होता है? (In which country is the Rohu fish farming in Hindi?)

रोहू मछली केबल भारत में लोकप्रिय है एय्सा नही है , दुनिया में बहुत सरे देश में जैसे भारत, बंलादेश , नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार, में इस्सका बहुत जादा मात्रा में पालन होता है।

रोहू मछली का मार्केट डिमांड कितना है ? (What is the market demand of Rohu fish in Hindi?)

रोहू मछली का मार्केट डिमांड भारत में सबसे जादा है , आई एम् सी ( रहू, कतला, मृगेल ) प्रजाति का या मछली भारत में सब से जादा मांग है, इस मछली बहुत स्वादिस्ट है , इस लिए  बहुत सारे देश में इसका मांग बहुत जादा हे . और इस मछली को बहुत सारी देशो में निर्यात किया  जता है. इस मछली जलीय कृषि क्षेत्र के भीतर भारत में सबसे जादा पालन होने बाले मीठे पानी की मछली है.

रोहू मछली का वैज्ञानिक नाम (Scientific name of Rohu fish in Hindi)

Labeo rohita

रोहू मछली का अंग्रेजी नाम –

Carpo fish

रोहू मछली का विशेषताएँ ( Features of Rohu Fish in Hindi)

  • रोहू मछली का सिर छोटा होता है , नुकीला चेहरा और निचला होंठ फ्रिल जैसा होता है ,
  • शरीर लंबा और गोलाकार
  • भूरे भूरे रंग का शरीर होता है , और पंख लाल रंग का होता है।
  • इसका पूरा शरीर पंख और सिर को छोड़कर तराजू से ढका होता है।
  • रोहू के शरीर पर कुल 7 पंख होते हैं।
  • इसकी अधिकतम लंबाई 1 मीटर है।
  • यह मुख्य रूप से सड़े हुए खरपतवार और बचे हुए अपशिष्ट पदार्थ को खाता है।
  • मानसून के मौसम में रोहू मछली साल में एक बार अंडे देती है। यह ज्यादातर मीठे पानी के तालाबों, खाइयों, नहरों, नदियों, झीलों आदि में पाया जाता है। इसे मृगला ​​और कतला मछलियों के साथ समान अनुपात में पाला जाता है।

रोहू मछली कितना अंडे देते है ?( How many eggs does Rohu fish lay in Hindi?)

रोहू मछली तिन साल हने पे अंडे देने शुरू करते है . और साल में एप्रिल से जुलाई के महिना में तिन लाख तक ओंडे देते है . इस मछली खुले पानी में ओंडे देते हे .

रोहू मछली का उत्पादन कितना होता है ? ( What is the production of Rohu fish in hindi?)

रोहू मछली को बाकि आई एम् सी मछली के साथ फार्मिंग कर सकते है . रोहू मछली प्रति हेक्टर में 4-5 Ton का उत्पादन कर सकते है. अगर आपने तालाब में आछे अरेसन सिस्टम का उपयोग करते है तो आपका उत्पादन आर भी जादा हो सकते है .

रोहू मछली पालन कैसे करे? (How to do Rohu fish farming in Hindi?)

ब्याबसयिक (commercially) रुपमे आगर रोहू मछली का पालन करना चाहते हे तो आपको इसके लिए कुछ बिसय के उपर जादा नजर राखना पढ़ेगा जैसे –

मछली पालन के लिए सही स्थान चयन

आप अगर व्यावसायिक रूप से रोहू मछली का पालन करना चाहते है तो उसके लिए आपको एक अच्छी स्थान  का चयन करना बहुत जरूरी है.-

  • कोई भी मछली का पालन  के लिए  जमीन के पहेले ध्यान दे , जैसे भूमि में जल धारण क्षमता आछा होनी चाहिए, रेतीली और दोमट मिट्टी पर तालाब न बनाएं।
  • जिस शान पे आप पंगास मछली का पालन करना चाहते है – उस स्थान जितना हो सके प्रदूषण मुक्त रखने के कोसिक करना चाहिए.
  • पूर्ण दिन सूर्य की पहुंच  होना चाहिए
  • और जमीं समतल  हना चाहिए .
  • भारी वर्षा/ बाढ़ वाले क्षेत्रों को ना बचना करना चाहिए।
  • व्यावसायिक रूप से पंगास मछली का पालन करने के लिए तालाब कम से कम एक एकड़ क्षेत्र का होने से आछा है इसमें मछली का बृद्धि का हार बहुत आछ होगा . छोटे पैमाने पर उत्पादन  करने के लिए आप छोटे जमीन भी ले सकते है .
  • कोई भी मछली पालन के लिए पानी एक होना बहुत जरूरी है, बोर वेल का पानी मीठा पानी का मछली पालन के लिए आछा है.
  • बिजली की कनेक्शन मछली फार्म/ तालाब के पास होना चाहिए.
  • मछली को मार्केट करने के लिए परिवहन का सु ब्यबस्था होना चाहिए.

रोहू मछली का तालाब का डिजाइन कैसे होगा ? (How to design a pangas fish pond in Hindi?)

अगर स्थान का चयन हो गया तो काभी आपको तालाब के डिजाइन और निर्माण के साथ शुरुआत करना चाहिए .

रोहू मछली का तालाब  आप आपका जमीन के उपट राउंड, आयत बना सकते है .

तालाब के किनारा सही करके करना चाहिए , किनारा हो  सके तो प्लास्टिक पेपर से माल्चिंग करना चाहिये . इसमें आस पास के पानी तालाब के अंदर आने का  कोई डर नही रहेता.

मछली पालन में पंड टॉयलेट जरुरी है (Pund toilet is necessary in fish farming in Hindi)

आज का दिन में हम लोग उत्पादन जादा करनेके लिए बहुत उच्च घनत्व में मछली का पालन करते है. जादा मछली के फार्मिंग करने के कारण तालाब का निचला हिस्सा में बहुत जादा आर्गेनिक लोड जमा हो जाता है . इसलिए  पोंड टॉयलेट बानाना बहुत जरुरी है . पंड टॉयलेट  बानाने के लिए तालाब के बिच में या जहा पे तालाब का बेकार चीज जमा होने का स्म्भाबना है उहांपे एक कोंक्रिट का गाडा बानाना है . और मछली फार्मिं के समय तालाब के सारे बेकार चीज (फीड वेस्ट , मछली का वेस्ट… ) उस टॉयलेट में जैम जा ता हे और  पम्प देके आप उसे तालाब के बाहर निकल सकते है. इसमें पानी का गुनाबत्ता सही रहेता है और मछली का बीमारी होने चांस बहुत कम हो जाता है .

प्लास्टिक, फाइबर,  कंक्रीट टैंक में मछली पालन (Fish farming in plastic, fiber, concrete tanks in Hindi)

आज का दिन में मछली पालन प्लास्टिक, फाइबर,  कंक्रीट के तालाब में भी होता है। उस के साथ साथ बहुत सारे मछली पालक जादा मात्रा में उत्पादन के लिए  बायोफ्लोक मछली पालन प्रणाली का उपयोग करके छोटे प्लास्टिक या कंक्रीट टैंक, फाइबर या तिरपाल तालाब में पाबडा मछली का पालन क्र रहे है .

मछली पालन के लिए तालाब का प्रस्तुती (Pond preparation for fish farming in hindi)

पंगास मछली का तालाब तैयार करना अपेक्षाकृत कठिन काम है। अगर आपके  तालाब पुराना है तो उसे शुरू में एक मोटर पंप का उपयोग करके  सारे पानी को सुखा दीजिए , इसमें सारे अबंछित मछली और जलीय किढ़े मोकोढ़े मर जाएगा।

  • आभी तालाब का निचले हिस्से का- 4-6 inch काला मिट्टी(Black Soil|) उठा दीजिए .
  • उसके बाद 7-10 दिन तालाब को धुपमें शुखाना चाहिए .
  • तालाब का मिट्टी का PH सही राख्ने के लिए , मिट्टी का PH को टेस्ट करना चाहिए .  पीएच के सुधार के लिए तालाब में  चूना 250-300 किग्रा/हेक्टेयर की हिसाब से देने  होगा .
  • मिट्टी का PH 7- 7.5 के बीच होना चाहिए।
  • तालाब का पानी का गहराई  1.5 मीटर से जादा  होने से आछा है .
  • बोरवेल का पानी होने से सबसे आची है.
  • तालाब को प्राकृतिक रूप से खाना से भरपूर करने के लिए आपको प्लांकटन बनाना चाहिए . इसके लिए आर्गेनिक  खाद और रासायनिक खाद डालना महत्वपूर्ण है।
  • तालाब में पानी भरने के बाद महया तेल का खली 2500 kg / Hector के हिसाब से तलब में दे सकते है , इसमें तालाब में सारे अबंछित मछली किढ़े मकोढ़े मर जाएगा . और तालाब में 7-10 दिन के अंदर बहुत सारे प्लांकटन प्रस्तुत हो जायेगा . एय मछली के खाना के लिए मना जाता है .
  • और नही तो आप तालाब में पानी भरने के बाद , तालाब में चूना, कच्ची गाय का गोबर, यूरिया, और सिंगल सुपरफॉस्फेट को : 300 किग्रा / हेक्टेयर, 2000 किग्रा / हेक्टेयर, 25 किग्रा / हेक्टेयर, और 30 किग्रा / हेक्टेयर की हिसाब से डालना पढ़ेगा.
  • इसके बाद 10-15 दिन के बाद तलब के पानी का रं हर हो जाएगा .
  • आभी आपका तालाब बाच्चा डालने  के लिए रेडी है .
  • तालाब में प्लांकटन सही मात्रा में राखने के लिए बिच बिच में रसायनिक खाद की उपयोग करना बहुत जरूरी है .

पाबदा मछली पालन का बिजनेस केसे करे?

रोहू मछली पालन करने का तरीका (Process of Rohu Fish Farming in Hindi)

भारत में रोहू मछली मनो कल्चर और पली कल्चर में  कार्प मछली के साथ होता ही.  रोहू मछली एक साल में 500-800 gm तक हो जाता है . और प्रति हेक्टर में 5-6 ton रोहू मछली उत्पादन कर सकते है . साधारण रुप में रोहू मछली मीठा पानी मे होता है, लेकिन सलिनिटी 1-2ppm में भी इस मछली आराम से पालन सकते है . PH:7-8 होने से मछली का उत्पादन आच्छा होता हे.  26-32 Centigrade इसका ग्रोथ सबसे अच्छा होता है .

नर्सरी मेनेजमेंट

नर्सरी तालाब की आकर 1000-2000 sq meter होना चाहिए.

नर्सरी में छोटा बाछा चोरने से पहेले पानी को आछे से प्रस्तुत कर लीजिए , सही मात्रा में प्लैंकटन होना चाहिए .

पानी को कोई भी जिबाणु नाशक जेसा सेनितिजेर के प्रयोग से जिबाणु मुक्त करन चाहिए .

कोई भी मछली का नर्सरी का समय दो धाप से होना चाहिए .

पहेले धाप में छोटा लार्वा बच्चा को 400-500/sq meter के हिसाब से डालना .

जब इसका बजन 1gm तक हो जायेगा , तब उसको सुसरे नर्सरी ताबाब में 150-200/sq meter के हिसाब से छोड़ देना चाहिए.  

नर्सरी स्टेग में जादा पानी का अदला-बदली नही करना चाहिए . जब तक पानी का गुनमान बहत खाराप ना हो जाए . इसमें बाच्चो को जादा स्ट्रेस होता है.

नर्सरी का पहेला स्टेज में आप पाउडर फर्म का बाजार का फीड दे  सकते है.  बच्चा जब एक ग्राम का आप पास हो गायेगा तब  .6mm -.8mm का खाना दे सकते है .

2 महिना का नर्सरी में 60-70% मछली फिंगर लिंग तक बन जाएगा . इसे  आपको बढ़ा तालाब में छोड़ दे ना चाहिइ .

कल्चार तालाब मेनेजमेंट (Culture pond management for Rohu Farming in Hindi)

कल्चार तालाब का आकर 1500sqm – 10000sqm तक होना चाहिए .

कल्चार तालाब में आप 20-40pcs/sqm में दाल सकते है .

अच्छा अरेसन (aeration) सिस्टम के साथ मोनो कल्चार में 40-60pcs/sqm में डाल ना चाहिए.  

6-8 months में अगर सही कल्चार में  5-6 ton/hector उतपादन कर सकते है .  

रोहू का फीडिंग मेनेजमेंट (Feeding Management for Rohu Farming in Hindi)

रोहू मछली प्लांकटन बहुत आछे तरे से खाते है , इसलिए रहू मछली का पालन में आपको तालाब में प्लैंकटन का उपर जादा नजर देना पढ़ेगा. आप होम मेड खाना और बाजार की पेलेड खाना दे सकते है . खाना हर समय उसके बजन के अनुसार होना चाहिए . होम मेड खाना का हिसाब से आप kitchen waste, rice bran, बादाम का तेल केक , सरसों का तेल केक, सयाबीन का तेल केक दे सकते है. आपको प्रोटीन , कार्बोह्य्द्रेड  का परसेंटेज सही मात्रा में देना चाहिए . साधारण रूप में पंगास मछली की FCR 1:1.5 होता हे.

 रोहू या ई एम् सी प्रजाति की मछली का फीडिंग का खर्चा कम करने के लिए तालाब में नेचारल फीड यानि दोनों  प्लंकटन (phyto or zoo) का परिमाण सही मात्र में रखना चाहिए . उसके साथ पेलेड फीड का सही मात्रा में इस्तेमाल करना पढ़ेगा . बाकि कैटफ़िश के जेसा रोहू मछली के लिए जादा प्रोटीन फ़ीड की जरुरत नही पढ़ता .

रोहू फिश का फीडिंग चार्ट (Rohu Fish Feeding Chart in Hindi)

Fish Weight (gm) Feed size (nm)Feed Percentage / Body  weightProtein Percentage
5-101.57%32%
10-2026%32%
20-3025%32%
30-4034%28%
50-10033-5%28%
100-20042-5%28%
200-30042%28%
300-40041-5%28%
400-60041-5%28%
600-70041-5%28%
700-80041%26%
800-100041%22%

पानी का सही मेनेजमेंट बहुत जरुरी है ? (Rohu Fish Farming water management in Hindi)

सभी मछली के जेसा रोहू मछली पालन में भी पानी का स्थिति को सही राखना बहुत जरुरी है. इसके कारण पानी सारे पेरामीटर को सही राखना होगा .

निचे  पानी का पेरामीटर  देख ले –

मछली पालन के लिए पानी का पेरामीटर चेरत

DO –  4-8ppm (parts per million)

Temperature  – 28-32  C ( Ideal)

PH – 6.5-8.5

Alkalinity  – 50-300 mg /lit ( ideal)

Ammonia  – 0 – 0.5 mg / lit

No2 (Nitrite ) <1

No3 ( Nitrate) <100

रोहू मछली पलने में रोग और उपचार (Diseases And Treatment Of Rohu Fish Farming in hindi)

मछली पलने में साधारण रूप में रोग बहुत कारण से आ सकते हे. लेकिन रोग आने का सबसे जादा जो कारण हे ओ पानी का पेरामीटर का स्थिति सही नही रहेना . इसलिए मछली का बीमारी के प्रोटेक्ट करने के लिएय सबसे पहेले  हमलोग को पानी का पेरामीटर का उपर जादा ध्यान देना जरूरी है .

फिर भी कभी कभी बीमारी आ जाते है  जेसा –

टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)

टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)
टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)

लक्षण :

पूंछ और पंख का सड़ना

पंख के कोने पर हल्का सफेद रंग दाग दिखती है,

उसके बाद  पंख के चारों ओर में  फैल जाता है, कुछ दिन बाद पंख शरीर से गिर जाता है।

उपचार :

0.5% कॉपर सल्फेट से उपचार किया जाता है।

मछली को उपचारित पानी में 2-3 मिनट के लिए डुबोया जाता है।

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है .

गिल रोट (Gill rot)

लक्षण :

गिल रोट (Gill rot)
गिल रोट (Gill rot)

ग्रे(Grey) रंग के गलफड़े होते हैं और फिर अंत में गिर जाते हैं।

मछलि सांसें नही ले पाते, मछलि सांसें लेने के लिए पानी की ऊपरी परत पर आ जाती हे.

 अंत में सांस फूलने से मर जाती .

उपचार : मछलियों को 5-10 मिनट के लिए 3-5% खारे पानी में डुबोया जाता है ताकि बीमारी का इलाज किया जा सके।

एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)

लक्षण :

एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)
एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)

शरीर पर लाल रं का छाले.

त्वचा और पंख  गिर जाता है .

अंत में मछली की मृत्यु।

उपचार:

200 gm/sqmter चूना पानी में डालें

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है .

और पानी में रासायनिक  खाद न डालें

सफेद दाग शरीर में (White spot disease):

लक्षण :

मछली की त्वचा, पंखों और गलफड़ों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं।

उपचार:

मछली को फॉर्मेलिन के घोल में 0.02% की दर से 7-10 दिनों के लिए 1 घंटे के लिए डुबोएं।

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है

रोहू मछली पालन में लाभ कितना होता है ?( What is the profit in Rohu fish farming in Hindi?)

सही तरीका से रोहू मछली पालन किया जाये तो लाब का परिमाण बहुत जादा होता है . अगर एक हेक्टर का फार्मिं किया जेर तो इसमें खर्चा तिन लाख तक होता है , और एक साल में मछली बेचने के बाद 3-4 लाख तक मुनाफा ले सकते है .

Q. रोहू मछली का वैज्ञानिक नाम क्या हे ?

Ans. – Labeo rohita

Q. रोहू मछली प्रती हेक्टर कितना उत्पादन कर सकते हे ?

Ans रोहू मछली बाकि इन्डियन मेजोर कार्प के साथ पालन करने से आछि मुनाफा होते है और मोट उत्पादन जादा होते हे , फिर भी आप आगर एरेसन सिस्टम आछा रहेगा तो प्रति हेक्टर से 4-6 Ton उत्पादन ले सकते है .

Q. बायोफ्लोक में रोहू मछली का पालन हो सकते है ?

Ans बायोफ्लोक में इन्डियन मेजोर कार्प के पालन जादा नही होता है . इस मछली के पालन के लिए बहुत बढ़ा आकर का तालाब की दरकार होता है . और पानी जादा साफ सूतरा होने से आछे उत्पादन मिलता . इस लिए बायोफ्लोक में रोहू की उत्पादन इतना आछ नेही होता .

Q. रोहू मछली का रेट

Ans,. – रोहू मछली का होल सेल रेट rs. 110-130 तक होता है .

मछली पालन की बिज़नस कैसे सुरु करे?

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