केकड़ा की खेती कैसे करे? (How to farm Mud Crab in Hindi)
“केकड़ा की खेती कैसे करे” आज का इस आर्टिकल में केकड़ा की खेती के बारे में सारे जानकारी बिस्तृत रुपमे चर्चा करेंगे. आप अगर केकड़ा की खेती की वारे में जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को अंत तक पड़े. हम आपको बिश्बास दिला सकते है इसमें आपको केकड़ा की खेती के बारे में सारे जानकारी मिल जाये गा .
केकड़ा की खेती बहुत लोकप्रिय बिजनेस है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में केकड़ा की भारी मांग और बहुत जादा कीमत के कारण इस का बहुत तेजी से बढ़ रहा है .
केकड़ा खाने में बहुत जादा स्वादिष्ट होता है . इसलिए दुनिया में बहुत सारे देश खाने के लिए हर साल भारी मात्रा में केकड़ों का आयात करते हैं। हमारा देश भारत से हर साल जादा मात्रा में केकड़ा का निर्यात होता है , इसके कारण देश को बाहुत जादा मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होता है. और इस बिजनेस के अपार संभावनाएं हैं।
वाणिज्यिक रूप में केकड़े का उत्पादन बहुत ही लाभदायक है। केकड़ा को बाजार में ऊंचे दामों पर आप बेचा सकते है। और मांग भी बहुत बहुत जादा है, और इसका फार्मिंग करना बहुत आसान है .
कोण कोण देश में केकड़ा का खेती होता है?
केकड़ा दुनिया में बहुत सारे देश में खेती किया जाता है , एशियाई देशों जैसे बांग्लादेश, भारत, थाईलैंड, फिलीपीन में इस केकड़ा की खेती बहुत जादा मात्रा में होते है .
केकड़े खाने के फायदे (benefits of eating Mud Crab in Hindi)
केकड़े खाने से बहुत सारे फायेदा है जेसे –
- एय एक ओमेगा 3 का आछा सौसे है .
- प्रोटीन से भरपूर
- लो फट (low fat)
- vitamin B12 जादा मात्रा में रहेता है
- selenium जादा मात्रा में रहेता है
- कम कोलेस्ट्रॉल
- 60% कैलोरी प्रोटीन से मिलता हे
- 40% कैलोरी fat से मिलता हे
- हेल्त को आछा करने में बहुत बड़ा भूमिका लेते है .
केकड़े की खेती के लाभ (Benefits of Mud Crab farming in Hidi)
केकड़े की खेती के मुख्य लाभ हैं
लेबोर का खर्चा बहुत कम है बाकि मछली का और झींगा का खेती का तुलना में .
केकड़ा का उत्पादन लागत तुलनात्मक रूप से झींगा या और बाकी उच्च मूल्य की मछली से बहुत कम होता है.
केकड़ा का ग्रोथ रेट बहुत जादा है, याने की केकड़ा बहुत तेजी से बढ़ते हैं।
वाणिज्यिक केकड़ा पालन व्यवसाय आजका दिन में बहुत जादा लोको प्रिय हो चूका है , खास करके तटीय क्षेत्रों इस ब्यबसाय लोगों की जीवन शैली का विकास कर रहा है। इसलिए झींगा पालन फार्मर लोग धीरे धीरे केकड़ा की कहती के तरप आ रहा है .
केकड़ा का आप छोटे छोटे तालाबों में भी खेती कर सकते है . इसलिए आपका अगर कोई छोटा तालाब है तो उसमे भी आप केकड़े का खेती कर सकते है .
केकड़ा का शेती में सबसे बड़ा जो सुबिधा है खिलाने की लागत, और या बहुत कम खर्चा में हो जाता है.
केकड़े को आप अपेक्षाकृत कम गुणवत्ता वाले भोजन (जेइसे बाजार का खाराप मछली ) का खा करके जीवित और सुस्त रह सकते हैं।
केकड़े दुनिया में बेहद लोकप्रिय एक खाने का चीज हैं। इसलिए इसको बेचने के लिए आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं हैं .
आप अपने मूलधन के ओनुसार इस प्रकार की खेती को छोटे और बड़ा पैमाने पर शुरू कर सकते हैं।
केकड़ा का खेती रोजगार का एक बड़ा स्रोत हो सकता है। खासकरके जो पढ़े-लिखे बेरोजगारों जुया है उसके लिइ केकड़ा का खेती का ब्याबसा बहुत ही आछा है .
केकड़ा का खेती का ब्याबसा में निवेश किया हुआ पैसा बहुत जल्द ही वापस मिल गाता हैं .
आप कोई छोटे का तालाबं में आपका फॅमिली मेंबर का लेबोर को उपयोग करके इस केकड़ा के खेती कर सकते है .
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खेती के केकड़ा के प्रकार
केकड़ा साधारण रुपमे नदी के मुहाने में और तटीय क्षेत्रों में मिलता है . Scylla genus परिबार के सदस्य साधारण रुपमे हमलोग खेती करते है . खेती करने के लिएय केकड़ा का दो प्रजातियां उपलब्ध हैं और इसी प्रजाति को व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयुक्त मन जाता हैं।
- green mud crab
- red claw mud crab
green mud crab ग्रीन मड क्रेब
- इस प्रकार की केकड़ा की आकर लम्बा और बड़ा होता ही .
- इस प्रकार की केकड़ा की आकर 22 सेंटीमीटर चौड़ाई तक बढ़ सकता है।
- इस प्रकार की केकड़ा की वजन 2 kg तक हो सकता है।
- इसका शरीर में बहुभुज चिह्नों होता हैं ।
red claw mud crab रेड क्लॉ मड क्रेब
- इस प्रकार की काकडे के आकर छोटे होते है.
- इस प्रकार की केकड़ा की आकर 12.7 सेंटीमीटर चौड़ाई तक बढ़ सकता है।
- इस प्रकार की केकड़ा की वजन 1.2kg तक हो सकता है।
- इसका शरीर में कोई बहुभुज का चिह्नों नही होता हैं ।
- इस दो प्रकार की केकड़ा को आप ब्याबसा के लिए खेती कर सकते है . इस दो प्रकार की केकड़ा की दुनिया में बहुत जादा मांग है.
केकड़ा की खेती कैसे करे ((How to farm Mud Crab in Hindi)
केकड़ा की खेती के तरीके (Crab Farming Methods in Hindi)
केकड़ा की खेती शुरू करना बहुत आसान ही , कोई भी आदमी इसे शुरू कर सकते है . इस केकड़ा का खेती का बहुत सारे उपाय है. हम सारे उपाय को एक एक करके बलेंगे आप आपके क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर कोई एक उपाय से केकड़ा का खेती कर सकते है .
साधारण रुपमे केकड़ा को दो प्रकार का उपाय में खेती किया जा सकते है . Grow out farming , Fattening farming . इस दोनों बिधि को हम निचे बिस्तृत रूप में बोलेंगे .
Grow out farming प्रणाली
ग्रो आउट फार्मिंग प्रणाली में, साधारण रुपमे तालाब में खेती करने के लिए आची माना जाता है. इसमें छोटे केकड़ा को 5 से 6 महीने तक पाला जाता है , और 5 से 6 महीने में इस केकड़ा बेचने के लायेक जो जाते है .
तालाब की आकर की उपर तालाब से कितन उत्पादन होगा ओ निर्भर करता है . साधारण रुपमे तालाब का आकर एक एकर से दो हेक्टर तक हो सकता है . छोटा आकर की तालाब में केकड़ा की खेती बहुत आछा माना जाता है . तालाब की बांध और पानी का परिबर्तन का अगर सुबिधा रहा तो, खेती में बहुत सुबिधा मिलता.
छोटा आकर की तालाब होने से उसको मेंटेन करना बहुत आसन होता है . तालाब छोटा और बड़ा हो तालाब की चारो पास बाद देना चाहिए .
कितना घनत्व में केकड़ा का खेती किया जाता है (In what density crab is cultivated in Hindi)
10 से 100 ग्राम वजन की केकड़े को तालाब में स्टॉक कर सकते। केकड़ा बाजार के उपलब्ध के ओनुसार आपको तालाब में छोड़ न पड़ेगा. इस केकड़ा को 3 से 6 महीने के बीच बाजार में बेच सकते है।
व्यावसायिक रूपसे खेती करनके लिए तालाब में प्रति वर्ग मीटर 1-3 केकड़ों का स्टॉक किया गाता है.
केकड़ा के खेती में खाने का प्रबंध (Feeding management in crab farming in Hindi)
केकड़ा का आछा बजन पाने के लिए आपको उसका खाने का उपर नजर रखना चाहिए . फीडिंग के लिए आप बाजार का सबसे कम कीमत की मछली खरीद करके खिलाया सकते है . केकड़े का आकार के अनुसार मछली का टुकड़े करके केकड़ा को खिलाया गाता है .
साधारण रुपमे काकड़ा को उसके बजन के 5% प्रतिदिन खाना देना चाहिए . जेसे तालाब में अगर 100 किलो काकडे होगा तो रोजाना 5 किलो खाना आपको देना पड़ेगा .
हर 15 दिन में 50 -60 काकड़ा को एक साथ करके उसका बजन कीजिए और उसके हिसाबे आपका तालाब का कुल काकड़ा का एक आनुमानिक बजन पता लग जाएगा . इस तरीके से आपको हर 15 दिन में sampling करना पड़ेगा . और उसका हिसाबे से खाना देना पड़ेगा .
तालाब में कुछ पाइप को रख सकते है . केकड़ा एक प्रकार की carnivores प्राणी है . एक काकड़ा दुसरे काकड़ा को खा ले ता है, पाइप राखने से काकड़ा खुद को सेल्टर दे सकते है . इस पाकर की खेती में 3 से 6 महीने के भीतर काकड़ा बिक्री के लिए उपयुक्त हो जाएंगे।
Fattening farming
इस प्रकार की खेती में जो केकड़ा का खोलीदार नरम हो जाता है उसे पालन किया जाता है , जब तक ना उसका खोलदार शक्त हो जाए . नरम खोल वाले काकड़ा की तुलना में शक्त कवच वाले केकड़ों की बाजार में कीमत चार से पांच गुना अधिक होती है।
इस प्रकार की प्रबंध में बहुत जल्दी काकड़ा को बेचा जा सकता है , और या बहुत ही लाभ दायक है . हम निचे इसका पूरा प्रणाली बोल रहे हे आप अछे से इसे जानले .
तालाब में Fattening farming
तालाब में Fattening farming कर सकते है , छोटे तालाब होने से इस प्रकार फार्मिंग में जादा लाभ मिलता है . 0.025 से 0.2 हैक्टर आकार के बीच किसी भी प्रकार के तालाबों में आप Fattening farming कर सकते है. तालाब में पानी का उचाई 1 से 1.5 मीटर से जादा नही होना चाहिए .
काकड़ा को राखने से पहेले तालाब का आछे तारे से प्रस्तुत कर लीजिए . अगर तालाब पुराना है तो तालाब का पानी को पूरी तारे निकलके, निचे का काली मिटटी 3 – 4 इंच खोद के बहार फेक दी जिए . उसके बाद धुप में आछे से शुखा लीजिए. उसके बाद 250- 300 केजी / हेन्क्टोर के हिसाब से चुना दल दीजिए .
तालाब के चारों ओर मेद बनाने के उद्देश्य से एक बाड़ बनाओ। क्योंकि केकड़ा में छेद करके और मिट्टी खोदकर भागने की प्रवृत्ति बहती जादा होती है। इनलेट क्षेत्रों को बंड के अंदर बांस की चटाई के साथ सुदृढ़ करें।
तालाब प्रस्तुत होने के बाद आपको केकड़ा को छोड़ने के ब्यबस्था करना होगा. स्टॉकिंग के लिए आप स्थानीय मछुआरे को बोल सकते हे ओर केकड़ा होलसेल व्यापारियों से भी आप नरम केकड़ा ले सकते है . तालाब में 1-2 केकड़ा प्रति वर्ग मीटर स्टॉकिंग करना चाहिए ।
आपका पास अगर जादा तालाब है तो अआप अलग अलग आकर का केकड़ा को अलग अलग तालाब में छोड़ सकते है , और नर और मादा को एक साथ मत राखिई. इसमें cannibalism बहुत ही कम हो जाता हैं.
आप इस प्रणाली में एक साल में 8 – 12 बार इस फार्मिंग को कर सकते है . साधारण रूप में 300 – 500 ग्राम का केकड़ा बेचने के लिए सबसे जादा डिमांड होता हैं .
Pens या Cages प्रणाली में Fattening
Fattening प्रणाली में आप Floating नेट का पिंजरों या बांस के पिंजरों में आप नदी या कनेल में और तालाब में भी केकड़ा का खेती कर सकते है .
आप प्लास्टिक का , लोहे का नेट का, या बांस के पिंजरों का खेती होता है . केबल पिंजरों के फ्लोटिंग रखना पड़ता हे.
पिंजरे का आकार अधिमानतः 3 मीटर x 2 मीटर x 1 मीटर होना चाहिए।
पिंजरों को एक पंक्ति में राख्ने का जरुरत है , इसमें खाना देने में और मानेज करने में बहुत सुबिधा होते है .
एक पिंजरों में 1केकड़ा राखने से आपसी हमलों का खतरा नही रहेता. और इसमें नुकसान चांस बहत कम हो जाता.
हमलोग आभी जो दो प्रकार की खेती के उपाय देखे हे इसमें पिंजरों का प्रणाली में अधिक लाभदायक होता है. और इसके कई फायदे हैं। इस प्रणाली में कम समय में हो जाता है . इस लिए इस प्रणाली जादा लोकोप्रिय है .
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पानी का सही मेनेजमेंट बहुत जरुरी है ? ( Crab Farming water management in Hindi)
सभी मछली के जेसा केकड़ा का पालन में भी पानी का स्थिति को सही राखना बहुत जरुरी है. इसके कारण पानी सारे पेरामीटर को सही राखना होगा .
निचे पानी का पेरामीटर देख ले –
मछली पालन के लिए पानी का पेरामीटर चेरत
DO – 4-8ppm (parts per million)
Temperature – 28-32 C ( Ideal)
PH – 6.5-8.5
Alkalinity – 50-300 mg /lit ( ideal)
Ammonia – 0 – 0.5 mg / lit
No2 (Nitrite ) <1
No3 ( Nitrate) <100
केकड़ा के फीडिंग प्रबंध (Feeding management in crab farming in Hindi)
केकड़ा का आछा बजन पाने के लिए आपको उसका खाने का उपर नजर रखना चाहिए . फीडिंग के लिए आप बाजार का सबसे कम कीमत की मछली खरीद करके खिलाया सकते है . केकड़े का आकार के अनुसार मछली का टुकड़े करके केकड़ा को खिलाया गाता है .
साधारण रुपमे काकड़ा को उसके बजन के 5% प्रतिदिन खाना देना चाहिए . जेसे तालाब में अगर 100 किलो केकड़ा होगा तो रोजाना 5 किलो खाना आपको देना पड़ेगा.
केकड़ा की हर्भेस्तिंग और मार्केटिंग
केकड़ा बजन जब बाजार में बेचने के लायक हो जायेगा आप आपका नजदीक ब्यापारी से कीमत पुछके बेचना शुरू कीजिए . आप अगर तालाब में फार्मिंग कर रहे तो आप केकड़ा के पकड़ने के लिए आप scoop net और alluring bait का प्रयौग कर सकते है .
अपने केकड़ा पालन के विषय में अच्छी जानकरी दी है परन्तु आपके ब्लॉग में कहा हेडिंग हैं और कहा पर नही हैं यह जल्दी पता नही चल पा रहा है |