“लहसुन की खेती की बिजनेस कैसे करे?” इस आर्टिकल में आज हाम लहसुन की खेती से जुढ़े सारे जानकारी देंगे| दैनिक आहार में हाम्लोग पोषण गुण का हिसाब से सब्जी को खाने में राखते है, किउ की सब्जी से बहुत सारे पोषण गुण जेसा विटामिन्स , मिनारेल्स मिलता है| लहसुन एक हरबाल सब्जी है, लहसुन का आयुरबेदिक औशोधी गुण का बारे में हाम्लोग जानते है | लहसुन एसा एक सब्जी है जिसको दुसरा सब्जी से खाना पाकाना के लिय मसाले के रूप में उपयोग होता है |और इसको काच्चा, सुखा भी सेबन करते है | होर रोज हर घर में कोई ना कोई खाने के साथ लहसुन को हामलोग खाते है | हामारा देश भारत में लहसुन का बहुत बड़ा बाजार|
दुनिया में लहसुन की खेती कहा जादा होता है ?
दुनिया में लहसुन के खेती चीन में सबसे जादा होता है | सारे दुनिया में जितना उत्पादन होता है उसके 70% प्रोडक्शन चीन देश में होता है| चीन के बाद भारत , रिपाबलिक कोरिया, उ एस ए लहसुन का उत्पादन करते है | -…………….. लहसुन की खेती की बिजनेस कैसे करे?
भारत में कितना लहसुन का उत्पादन होता है ?
भारत में लहसुन के बहुत जादा उत्पादन होता है, हर साल 1.1 million मीट्रिक टन लहसुन भारत में उत्पादन होता है| और भारत ने हर साल लगभग 500 corer का लहसुन का निर्यात करते है| और बिदेश में लहसुन का बहुत जादा मांग है| राज्य के हिसाब से भारत में राजस्थान में सबसे जादा लहसुन की खेती होता है| उसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब का स्थान है |
लहसुन की खेती की बिज़नस का संभाबना कितना है? ( How Potential of Garlic Farming in Hindi?)
आप अगर आपनी काम और नोकरी लेके चिंतित है | और आप क्रिशिकाज में खुद रहेना चाहाते है | और कृषि बिज़नस करना चाहाते है तो आपदे पास लहसुन का खेती को बिज़नस एक बिकल्प हो सकते है | किउ की दुनिया में लहसुन की बाजार में मांग बहुत जादा है, और हर साल भारत ने लहसुन निर्यात करके बहुत जादा विदेशी मुद्रा कमाई करते है | और लोकल बाजार में भी लहसुन का बहुत मांग है और इसका कीमत भी कभी कम नही होता| इसलिए खेती में उत्पादन करने के बाद बाजार में बेचने में इसका कोई समस्या नही होता | अगर लहसुन की खेती की बिज़नस करना चाहते है तो आप एक सफल ब्यापारी हो सकते है |
लहसुन की खेती की बिजनेस कैसे करे? ( How Start Garlic Farming Business in Hindi?)
लहसुन की खेती की बिजनेस करने के लिए आपको सही से फार्मिंग करना पड़ेगा इस लिए इसका जलबायु , खेती का तरिका , खेती का समय सारे कुछ जानना बहुत जरुरी है | सही ढंग से अगर सहसुन का खेती किया जाए तो खेती करके आप लाख कामइ करे सकते है | आर्टिकल में हाम इस सारे बीसय में चर्चा करेंगे |
लहसुन की खेती के लिए जलबायु ?( Climate of Garlic Farming)
लहसुन की खेती के लिएय मिश्र प्रकार की जलबायु की जरुरी है| आछे फलन की लिए पौधा बिकसित और ब्रिधि होनी के लिए कम तापमान की जरुरत होती है | 20डिग्री के आसपास तापमान में पौधा का आछे ब्रिधि होता है| लेनिन बहुत जादा कम तापमान में लहसुन का गठन आछा नही होता| आर खेती के अंतिम कुछ महीना जादा तापमान की जरुरत होती है | जादा तापमान में लहसुन के परिपक्कता बहुत आछी से होती है | इसलिए लहसुन की खेती में गर्म और ठंडी मौसम बाले स्थान आछे होते है | लहसुन की खेती में जादा बारिस की जरुरत नेही होती| और लहसुन मिट्टी का निचे होती है , इसलिए जादा बारिस बाले शानो में स्थानों पे इसका फार्मिंग ना करने से आछा है | 20-45 डिग्री सन्त्रिग्रेड तापमान में इसका खेती आछ से होता है |
लहसुन की खेती की लिए कोनसा मौसम आछा है ?( Season and Time of Garlic Farming in Hindi)
भारत में लहसुन खरीफ ( जून – जुलाई ) में और रबी (अक्टूबर – नवम्बर) दोनों फसल का रूप में चेत्र की हिसाब से खेती किया जाता है | रबी फसल में – अंदर प्रदेश , उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार ओड़िसा और बंगाल में खेती किया जाता है | और खरीफ फसल का रूप में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश राज्य में होता है |
लहसुन की खेती की लिए मिट्टी कोनसा आछा है?( Soil of Garlic Farming in Hindi)
लहसुन विभिन्न प्रकार की मिट्टी में खेती किया जा सकता है, आछी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी इस फसल के लिए आछे माना जाता है| लहसुन की खेती की लिए मिट्टी की ph बहुत जादा महत्पूर्ण है| लहसुन की खेती की लिए ph 6-8 का अन्दर होना चाहिए| Clay टाइप का मिट्टी लहसुन की खेती की लिए आछी नही होती| लहसुन की खेती की लिए दोमोट और आछी जल निकाशी बाली मिट्टी , अधिक ओर्ग्निक खाद, आछी मोइस्तर और उच्च पोषक गुण सम्पन्न मिट्टी इस खेती की लिए आछी माना जाता है |
लहसुन की उन्नत किस्में (Varieties of Garlic Farming in Hindi)
भारत में कई किस्म की लहसुन का खेती होता है | और उगाने का खेत्र का हिसाब से उसका नाम करन हुआ है |
Variety | Centre | Characteristics | Region of Cultivation | Average Yield (Tonnes per Hectare) |
Bhima Omkar | ICAR-DOGR | Produces medium-sized bulbs | Delhi | 8-14 |
Matures in 120-140days | Gujarat | |||
Haryana | ||||
Rajasthan | ||||
Bhima Purple | ICAR-DOGR | Produces purple-skinned bulbs | Andhra Pradesh | 6-7 |
Mature in 120-140 days | Bihar | |||
Delhi | ||||
Haryana | ||||
Uttar Pradesh | ||||
Karnataka | ||||
Punjab | ||||
Maharashtra | ||||
Agrifound White (G-41) | NHRDF | Produces white bulbs | Maharashtra | 12-14 |
Matures in 130-145 days | Madhya Pradesh | |||
Yamuna Safed | NHRDF | Produces white bulbs | All over India | 15-12 |
(G-1) | Matures in 120-140 days | |||
Yamuna Safed-2 (G-50) | NHRDF | Produces white bulbs | Northern India | 15-18 |
Matures in 120-140 days | ||||
Yamuna Safed-3 (G-282) | NHRDF | Creamy white bulbs | Chhattisgarh | 17-19 |
Produce bigger bulbs | Gujarat | |||
Matures in 120-140 days | Haryana | |||
Madhya Pradesh | ||||
Maharashtra | ||||
Punjab | ||||
Rajasthan | ||||
Uttar Pradesh | ||||
Yamuna Safed-5 (G-189) | NHRDF | Produces white bulbs | Andaman and Nicobar Islands | 17-18 |
Matures in 150-160 days | Arunachal Pradesh | |||
Bihar | ||||
Delhi | ||||
Gujarat | ||||
Haryana | ||||
Jharkhand | ||||
Manipur | ||||
Meghalaya | ||||
Mizoram | ||||
Nagaland | ||||
Punjab | ||||
Rajasthan | ||||
Sikkim | ||||
Tarai region of Uttar Pradesh | ||||
Tripura | ||||
Uttarakhand | ||||
Godavari | MPKV | Produces purple bulbs | Maharashtra | 10-11 |
Matures in 140-145 days | ||||
Shweta | MPKV | Produces white bulbs | Maharashtra | 10-11 |
Matures in 130-135 days | ||||
Phule Baswant | MPKV | Produces white bulbs | Madhya Pradesh | 10 |
Mature in 135-140 days | Maharashtra | |||
GG-4 | JAU | Produces white bulbs | Gujarat | 10 |
Matures in 130-140 days | Maharashtra | |||
Ooty 1 | TNAU | Bulbs produced are dull white in color | Tamil Nadu | 15-17 |
Matures in 120-130 days | ||||
VL Garlic 1 | ICAR-VPKAS | Produces white colored bulbs | Bihar | Hills:14-15 |
Matures in 180-190 days | Himachal Pradesh | Plains: 9-10 | ||
Jammu & Kashmir | ||||
Punjab | ||||
Uttarakhand | ||||
Uttar Pradesh | ||||
VL Lahsun 2 | ICAR-VPKAS | Produces white bulbs | Himachal Pradesh | Mid hills:14-16 |
Takes 190-200 days to mature | Jammu & Kashmir | Above mid hills: 24-26 | ||
Uttarakhand | ||||
Agrifound Parvati | NHRDF | Produces purple bulbs | Hills of Himachal Pradesh | 17-18 |
Bulbs are bigger in size | Uttarakhand | |||
Matures in 165-175 days | Jammu & Kashmir | |||
High altitudes of North eastern states | ||||
Agrifound Parvati 2 (G408) | NHRDF | Produces white bulbs | Hills of Himachal Pradesh | 17-22 |
Matures in 165-175 days | Uttarakhand | |||
Jammu & Kashmir | ||||
High altitudes of North eastern states |
लहसुन की खेती में खाद की प्रयोग ( Pesticides of Garlic Farming in Hindi)
लहसुन एक लम्बी समय का फसल है इस लिए खाद का इसमें जादा नजर राखना चाहीइ | 1 हेक्टर जमिन पे तकरीबन 200-250 कुइंतल सड़ी हुई गोबोर और कम्पोस्ट खाद को जमीन पे मिक्स करना चाहिए | राइजोम / प्रकन्द रोपोन के समय 20-25 कुइंतल प्रति हेक्टर निम् का खाल्ली जमीं पोई देना होगा इसमें प्रकन्द गलब एवं सूत्रि कृमि या भूमि शक्ति रोगों की समस्याँ कम हो जाती हैं | रासायनिक खाद के लिए नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम और 50 किलो फास्फोरस का ब्यबस्था करना पड़ेगा | इस सारे खाद में से पतास और फोस्फोरस को रोपण के समय देना परेगा | और नाइट्रोजन का 50 % रोपों के समय और बाकी नाइट्रोजन का आधा 45 दिन के बाद और आधा 90 दिन के बाद देना पड़ेगा | का अगर सही से सारे बीसी के ऊपर नजर दिया जाए तब लहसुन की का फसल फलन आची मुनाफा देते है |
बीज का प्रबंध ( Seeds of Garlic Farming in Hindi)
हर सब्जी का खेती के लिए बीज बहुत जादा कीमत राखते है | लहसुन की खेती के लिए आप भी आछा किस्मे की बिज चयन करना चाहिए जो आपका छेत्रा का उपयोगी | लहसुन की खेती में लहसुन की लौंग को बुयाई जाता है | इसके के लौंग इसके बीज है | लहसुन की बीज को चयन करने के लिए बड़ी बाली लहसुन को चयन करना उचित है | प्रति बिज के लिए एक से तिन लौंग लेना पढ़ता है | बड़ी साइज का लौंग को लेना चाहिई|बिज को उपचार करने के बाद ही रोपोन किया जाता है |
लहसुन की खेती के लिए जमीन तयारी (Garlic Farming Land Preparation in Hindi)
लहसुन की खेती के लिए जमीन को आछे से जुताई करना पड़ता है , किउ की लहसुन जमीन की निचे होता है और जुताई अगर आछे से नही होगा तो लहसुन का बिस्टार सही से नही होगा | लहसुन का खेती के लिए जमीन को 4-5 बार जुताई करना पड़ता है| जिसे मिट्टी का बहुत भुरभुरा टाइप का हो जाए | आब 1mitar चोराई का और 30cm उचाई का बेड बानाना चाहिए | दो बेड का अन्दर 50cm का दुरी होना चाहिए | सिचाई के लिएय दो बेड का अन्दर का जगा उपयोग कर सकते है| लेकिन बरसा का समय छोरके आप दीप इरिगेसान का बंद बोस्ट कर सकते है | राइजोम गलने का और निमातोद का बिमारी से बाचने के लिए सफेद तान्स्पेरेंच्य पोलीथिन का शीत ढाक के 40 दिन सनलाइट देके सोलारैजेसन प्रक्रिया उपयोग करना चाहिए|
लहसुन की खेती में रोपाई कैसे करे ? ( Planting of Garlic Farming in Hindi)
हामने पहेले भी बोला था लहसुन का लंग को रोपाई किया जाता है | लहसुन लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अलग-अलग लौंग को अलग करना चाहिए।
लहसुन खेती के लिए जमीन तैयार होने के बाद रोपाई किया जाता है | रोपाई से पहेले बीज को सही से परिसुध करना जरुरी है | इस लिए 0.1% कार्बेन्डाजिम घोल में डुबो देना चाहिए। उसके बाद बेड में छोटा छटा खुदाई करके मिट्टी अन्दर बीज को दिया जाता है | बीज के उपर कम्पोस्ट देना जरुरी है और उसके उपर एक पातला मिट्टी का लेयर देना जरूरी है |
लहसुन की खेती में माल्चिंग (Mulcting of Garlic Farming)
लहसुन की खेती में मल्चिंग बहुत जरुरी है | मल्चिंग के रूप में पहेले हरे पात्ता,धान की पात्ता दिया जाता है| इसमें बारिस में मिट्टी का खय नही होता और मातम/ खरपतबार को रोध किया जाता है |
लहसुन की खेती की सिचाई (Irrigation of Garlic Farming)
आदरक की खेती आधिक बारिश होने बाले खेत्र से मद्धम बारिस और कम बारिश होने बाले खेत्र में आछा होता है| रोपाई के बाद और अन्कुरोध्गम के बाध सिचाई के जरुरत होता है | पौधा निकालने के बाध 7-10 दिन के अन्दर में सिचाई करना जरुरी है| बारिस के समय छोरके के आप ड्रिप सिचाई का साहारा ले सकते है |
लहसुन की खुदाई ( Harvest of Garlic Farming)
लहसुन की खुदाई रोपोन के 13-150 दिन के बाध होता हे | जब पोधा के पात्ता जब पीले पढ़ जाता है और सुख जाता है तब लहसुन की खुदाई कर लेना चाहिए | आदरक के खुदाई करने में आगर जादा देर कर दी तो स्टोर करने का समय कंद निकल जाता है | लहसुन की खुदाई के समय मिट्टी जादा भीगा और सुखा नही होना चाहिए| इसमें लहसुन की खुदाई करनेमे नुक्सान हो सकते है |
लहसुन की खेती की कामाई (Profit of Garlic Farming in Hindi)
एक एकर लहसुन का खेती करने से आपको 40-50 कुंटल लहसुन उत्पादन होती है |
अगर हाइब्रिड किस्मे के खेती करके तो इसमें 70 कुंटल तक उत्पादन हो सकते है |
अगर आपने 50 कुंटल लहसुन की उत्पादन कर सकते है |
और बाजार में लहसुन की कीमत 80 रुपिया है, आप आगर 50-60 रुपिया भी पकढ़ते है तो 3लाख का आमदानी होता है |
और जादा से जादा 30-40 हजार का खर्चा होता है |
एक एकर में| 2.5 लाख के आस पास कमाई होगा|
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