देशी मांगुर मछली की खेती कैसे करे? 2022 | Deshi Mangur fish farming business in Hindi?

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देशी मांगुर मछली की खेती कैसे करे? देशी मांगुर पालन की ब्यापार Deshi Mangur fish farming in hindi start fish farming business

देशी मांगुर मछली की खेती कैसे करे? (Deshi Mangur fish farming business in Hindi?)

“देशी मांगुर मछली की खेती कैसे करे?” आजका इस आर्टिकल में सिंघी मछली की खेती के बारे में बिस्तार रुपमे चर्चा करेंगे. अगर आपने सिंघी मछली की बारे में जानना चाहते है तो इस आर्टिकल के जरुर अंत तक पढ़िये गा . आपको सिंघी मछली की खेती यह सिंघी मछली पालन की बिजनेस के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी.

भारत में देशी मांगुर एक बहुत जादा लोकप्रिय मछली है , इसे साधारण रुपमे भारत में देशी मांगुर के नाम पे बोला जाता है , किसी किसी राज्य में इसे दुसरे नाम पे भी बोला जाते है . इस देशी मांगुर मछली एक केट फिश प्रजाति का मछली है . पश्चिम बंगाल में इस मछली बहती पापुलर है ,

देशी मांगुर मछली बंगाल के साथ साथ देश की बाकि राज्य में भी जादा फार्मिंग होता है , जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, आसाम , त्रिपुरा , उत्तर प्रदेश, बिहार में इस मछली का बहुत आछे फार्मिंग होता है , देशी मांगुर मछली मीठा पानी का मछली है , लेकिन इसे कम सलिनिटी का खरा पानी में फारिंग हो सकते है .

देशी मांगुर मच्छली बहुत हार्डी या शक्त टाइप का मछली है . यह मछली बहती कम आक्सीजन में पानी में भी आछी से जिन्दा रहे सकते है, देशी मांगुर मछली बायुमंडल से सास ले सकते है . इस लिए इस मछली पानी के बाहार भी जिन्दा रहे सकते है .

देशी मांगुर मछली का फार्मिंग में अच्छा बाताबरण में इस मछली 5-6 महीने के अन्दर बेचने की लायेक हो जाता है. व्याबसायिक रुपे में पालन करने से इस ब्याबसा में बहुत जादा लाभ मिलता है , इस मछली का कीमत बाजार में बहती जादा है .

देशी मांगुर मछली खाने के फायदे (benefits of eating Deshi Mangur fish in Hindi)

देशी मांगुर मछली किसी भी परिबार के सभी सदस्य के लिए एक स्वस्थ आहार है . इसमें बहुत सारे खाद्य गुण रहेता हे. साधारण रुपमे कोई बीमार ब्यक्ति को देशी मांगुर मछली खिलाया जाता है , इसमें मरीज इमुनिटी बहुत जल्दी ग्रो होता .

देशी मांगुर मछली खाने से बहुत सारे फायेदा है   जेसे –

  • एय एक ओमेगा 3  का आछा सौसे है .
  • प्रोटीन से भरपूर
  • लो फट (low fat)
  • saturated fat बहती कम
  • शून्य कार्बोहाइड्रेट
  • कम कोलेस्ट्रॉल
  • शून्य सोडियम
  • 60% कैलोरी प्रोटीन से मिलता हे
  • 40% कैलोरी fat से मिलता हे
  • immunity power बहुत जल्दी ग्रो होता है .
  • मरीज के लिए एय एक बहुत आसे खाना माना जाता है .
देशी मांगुर मछली की खेती कैसे करे?

कोण कोण देश में देशी मांगुर मछली का पालन होता है? (In which country is the Deshi Mangur fish farming in Hindi?)

देशी मांगुर मछली केबल भारत में लोकप्रिय है एय्सा नही है , दुनिया में बहुत सरे देश में इसका पालन होता है . इसे भारत , पाकिस्थान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका , थाईलेंड, मयन्मार, भूटान यसे बहुत सारे देश में खेती किया जाता है .

देशी मांगुर मछली का मार्केट डिमांड कितना है ? (What is the market demand of Deshi Mangur fish in Hindi?)

देशी मांगुर मछली का बहुत जादा पुष्टि गुण, बढ़िया स्वाद और औषधीय मूल्य के कारण उच्च बाजार मूल्य मिलता है। और अभी कुछ कुछ देश में इस सिंघी मछली का बहुत जादा मांग बाड़ रहा है , और इसे भारत से बिदेश में निर्यात भी होना शुरू हो गया है, देश में भी मांग बहुत जादा है, लेकिन उसका उत्पादन बहुत कम मात्रा में होता है .

देशी मांगुर मछली का वैज्ञानिक नाम (Scientific name of Deshi Mangur fish in Hindi)

Clarias batrachus

देशी मांगुर मछली का अंग्रेजी नाम –

Asian Cat fish

देशी मांगुर मछली का विशेषताएँ ( Features of Deshi Mangur Fish in Hindi)

  • देशी मांगुर मछली का सिर बहुत शक्त और सीदा होता है.
  • देशी मांगुर मछली का सर में मुछ रहेता है .
  • देशी मांगुर एक कैट फिश प्रजाति का मच्छली है .
  • इसका शरीर देखने बहुत चमकदार होते है .
  • काले और पीले रंग का शरीर होता है ।
  • इसका पूरा शरीर में तराजू नही होता,
  • इसकी अधिकतम लंबाई 1 फिट होता है।
  • देशी मांगुर पानी का बहुत कम ऑक्सीजन ने भी आछे से जिन्दा रहे सकते है .
  • यह मुख्य रूप से मरे हुए छोटे मछली, कीड़े, मकोड़े को खाता है, इस मछली बाजार के मछली का खाना याना के पेलेट फीड भी खाता है .
  • मानसून के मौसम में सिंघी मछली साल में एक बार अंडे देती है।
  • देशी मांगुर मछली का खेती करने के लिए पानी उचाई एक मीटर से जादा नही होना चाहिए .
  • देशी मांगुर मछली के साथ इंडियन मेजर कार्प मतलब रोहू, कातला, मृगेल मछली के साथ पालन किया जाता है .
  • देशी मांगुर मछली पानी का नीचे के स्तर में रहेते है ,

देशी मांगुर मछली कितना अंडे देते है ?( How many eggs does Deshi Mangur fish lay in Hindi?)

देशी मांगुर मछली साल में 1 बार 5000-10000 से जादा तक ओंडे देते है .

देशी मांगुर मछली का उत्पादन कितना होता है ? ( What is the production of Deshi Mangur fish in hindi?)

देशी मांगुर मछली को बाकि आई एम् सी मछली के साथ फार्मिंग नही करने से अच्छे हे. सिंघी मछली एक प्रकार की कार्निवोरुस मछली है , केबल भेटकी मछली प्रति हेक्टर में 6-8 Ton का उत्पादन कर सकते है. और इस मछली को पोली कल्चर में बहुत ही आछे उत्पादन होता है .

देशी मांगुर मछली के साथ और कोनसा मछली का खेती किया जा सकते है ?( Which fish can be farming with Deshi Mangur fish in Hindi)

देशी मांगुर मछली एक प्रकार की कार्निवोरुस मछली है , इस मछली मरे हुए मछली को खा लेते है . और देशी मांगुर मछली तालाब के निचली स्तर में रहेते है , इस मछली के साथ रोहू, कतला, मृगेल मछली के खेती कर सकते है . लेकिन आज काल देशी मांगुर की मोनो कल्चर में फार्मिंग हो रहा है और , फार्मर बहुत जादा इनकम कर रहा है.

देशी मांगुर मछली पालन कैसे करे? (How to do Deshi Mangur fish farming in Hindi?)

ब्याबसयिक (commercially) रुपमे आगर देशी मांगुर मछली का पालन करना चाहते हे तो आपको इसके लिए कुछ बिसय के उपर जादा नजर राखना पढ़ेगा जैसे –

मछली पालन के लिए सही स्थान चयन

आप अगर व्यावसायिक रूप से देशी मांगुर मछली का पालन करना चाहते है तो उसके लिए आपको एक अच्छी स्थान  का चयन करना बहुत जरूरी है.-

  • कोई भी मछली का पालन  के लिए  पहेले जमीन के उपर ध्यान दे , जैसे भूमि में जल धारण क्षमता आछा होनी चाहिए, रेतीली और दोमट मिट्टी पर तालाब न बनाएं।
  • जिस शान पे आप पंगास मछली का पालन करना चाहते है – उस स्थान जितना हो सके प्रदूषण मुक्त रखने के कोसिक करना चाहिए.
  • पूर्ण दिन सूर्य की पहुंच  होना चाहिए
  • और जमीं समतल  हना चाहिए .
  • भारी वर्षा/ बाढ़ वाले क्षेत्रों को ना बचना करना चाहिए।
  • व्यावसायिक रूप से पंगास मछली का पालन करने के लिए तालाब कम से कम एक एकड़ क्षेत्र का होने से आछा है इसमें मछली का बृद्धि का हार बहुत आछ होगा . छोटे पैमाने पर उत्पादन  करने के लिए आप छोटे जमीन भी ले सकते है .
  • कोई भी मछली पालन के लिए पानी एक होना बहुत जरूरी है, बोर वेल का पानी मीठा पानी का मछली पालन के लिए आछा है.
  • बिजली की कनेक्शन मछली फार्म/ तालाब के पास होना चाहिए.
  • मछली को मार्केट करने के लिए परिवहन का सु ब्यबस्था होना चाहिए.

देशी मांगुर मछली का तालाब का डिजाइन कैसे होगा ? (How to design a Deshi Mangur fish pond in Hindi?)

अगर स्थान का चयन हो गया तो आभी आपको तालाब के डिजाइन और निर्माण के साथ शुरुआत करना चाहिए .

देशी मांगुर मछली का तालाब  आप आपका जमीन के उपट गोलाकार , आयत बना सकते है .

तालाब के किनारा सही तरीकेसे करना चाहिए , किनारा हो  सके तो प्लास्टिक पेपर से माल्चिंग करना चाहिये . इसमें आस पास के पानी तालाब के अंदर आने का  कोई डर नही रहेता.

इस मछली के लिए पानी के उचाई 1 मीटर की होना चाहिए . उसके हिसाब से आपको तालाब बानाना चाहिए .

मछली पालन में पंड टॉयलेट जरुरी है (Pund toilet is necessary in fish farming in Hindi)

आज का दिन में हम लोग उत्पादन जादा करनेके लिए बहुत उच्च घनत्व में मछली का पालन करते है. जादा मछली के फार्मिंग करने के कारण तालाब का निचला हिस्सा में बहुत जादा आर्गेनिक लोड जमा हो जाता है . इसलिए  पोंड टॉयलेट बानाना बहुत जरुरी है . पंड टॉयलेट  बानाने के लिए तालाब के बिच में या जहा पे तालाब का बेकार चीज जमा होने का स्म्भाबना है उहांपे एक कोंक्रिट का गाडा बानाना है . और मछली फार्मिं के समय तालाब के सारे बेकार चीज (फीड वेस्ट , मछली का वेस्ट… ) उस टॉयलेट में जैम जा ता हे और  पम्प देके आप उसे तालाब के बाहर निकल सकते है. इसमें पानी का गुनाबत्ता सही रहेता है और मछली का बीमारी होने चांस बहुत कम हो जाता है .

प्लास्टिक, फाइबर,  कंक्रीट टैंक में मछली पालन (Fish farming in plastic, fiber, concrete tanks in Hindi)

आज का दिन में मछली पालन प्लास्टिक, फाइबर,  कंक्रीट के तालाब में भी होता है। उस के साथ साथ बहुत सारे मछली पालक जादा मात्रा में उत्पादन के लिए  बायोफ्लोक मछली पालन प्रणाली का उपयोग करके छोटे प्लास्टिक या कंक्रीट टैंक, फाइबर या तिरपाल तालाब में मछली का पालन कर रहे है . मुरल मछली की पालन अज का दिन में बड़ा बड़ा टेंक बाना के बहुत आछी से हो रहा है .

मछली पालन के लिए तालाब का प्रस्तुती (Pond preparation for fish farming in hindi)

इस मछली का तालाब तैयार करना अपेक्षाकृत कठिन काम है। अगर आपके  तालाब पुराना है तो उसे शुरू में एक मोटर पंप का उपयोग करके  सारे पानी को सुखा दीजिए , इसमें सारे अबंछित मछली और जलीय किढ़े मोकोढ़े मर जाएगा।

  • आभी तालाब का निचले हिस्से का- 4-6 inch काला मिट्टी(Black Soil|) उठा दीजिए .
  • उसके बाद 7-10 दिन तालाब को धुपमें शुखाना चाहिए .
  • तालाब का मिट्टी का PH सही राख्ने के लिए , मिट्टी का PH को टेस्ट करना चाहिए .  पीएच के सुधार के लिए तालाब में  चूना 250-300 किग्रा/हेक्टेयर की हिसाब से देने  होगा .
  • मिट्टी का PH 7- 7.5 के बीच होना चाहिए।
  • तालाब का पानी का गहराई  1.5 मीटर से जादा  नही होने से आछा है .
  • बोरवेल का पानी होने से सबसे आची है.
  • तालाब को प्राकृतिक रूप से खाना से भरपूर करने के लिए आपको प्लांकटन बनाना चाहिए . इसके लिए आर्गेनिक  खाद और रासायनिक खाद डालना महत्वपूर्ण है।
  • तालाब में पानी भरने के बाद महया तेल का खली 2500 kg / Hector के हिसाब से तलब में दे सकते है , इसमें तालाब में सारे अबंछित मछली किढ़े मकोढ़े मर जाएगा . और तालाब में 7-10 दिन के अंदर बहुत सारे प्लांकटन प्रस्तुत हो जायेगा . एय मछली के खाना के लिए मना जाता है .
  • और नही तो आप तालाब में पानी भरने के बाद , तालाब में चूना, कच्ची गाय का गोबर, यूरिया, और सिंगल सुपरफॉस्फेट को : 300 किग्रा / हेक्टेयर, 2000 किग्रा / हेक्टेयर, 25 किग्रा / हेक्टेयर, और 30 किग्रा / हेक्टेयर की हिसाब से डालना पढ़ेगा.
  • इसके बाद 10-15 दिन के बाद तलब के पानी का रं हर हो जाएगा .
  • आभी आपका तालाब बाच्चा डालने  के लिए रेडी है .
  • तालाब में प्लांकटन सही मात्रा में राखने के लिए बिच बिच में रसायनिक खाद की उपयोग करना बहुत जरूरी है .
  • तालाब में बर्ड नेट और साइड नेट देना बहुत जरुरी है .

पाबदा मछली पालन का बिजनेस केसे करे?

देशी मांगुर मछली पालन करने का तरीका (Process of Deshi Mangur Fish Farming in Hindi)

ब्याबसयिक रुप में देशी मांगुर मछली मनो कल्चर में आछे से होता है , देशी मांगुर मछली एक साल में 250-350gm तक हो जाता है . और प्रति हेक्टर में 6-8 ton मछली उत्पादन कर सकते है . साधारण रुप में सिंघी मछली मीठा पानी मे होता है, . PH:7-8 होने से मछली का उत्पादन आच्छा होता हे.  26-32 Centigrade तापमान में इसका ग्रोथ सबसे अच्छा होता है .

देशी मांगुर मछली की बिज काहा मिलेगा (Where we will get Deshi Mangur seeds in hindi)

देशी मांगुर मछली की बिज साधारण रुपमे प्राकृतिक रुपमे में क्यानेल, नदी में मिलता है , और एय सीड सीड पछिम बंगाल में बहुत जादा मिलता है. लेकिन आभी बहुत सारे हेचारी भी सिंघी मछली का बिज को बना के बेच रहा है .

नर्सरी मेनेजमेंट

नर्सरी तालाब की आकर 1000-2000 sq meter होना चाहिए.

नर्सरी में छोटा बाछा चोरने से पहेले पानी को आछे से प्रस्तुत कर लीजिए , सही मात्रा में प्लैंकटन होना चाहिए .

पानी को कोई भी जिबाणु नाशक जेसा सेनितिजेर के प्रयोग से जिबाणु मुक्त करन चाहिए .

कोई भी मछली का नर्सरी का समय दो धाप से होना चाहिए .

पहेले धाप में छोटा लार्वा बच्चा को 400-500/sq meter के हिसाब से डालना .

छोटा बाच्चा पानी में जू प्लैंकटन खाते है , उसके साथे आप उसे मछली को बॉईल करके खिला सकते है .

जब इसका बजन 1gm तक हो जायेगा , तब उसको सुसरे नर्सरी तालाब में 150-200/sq meter के हिसाब से छोड़ देना चाहिए.  

नर्सरी स्टेग में जादा पानी का अदला-बदली नही करना चाहिए . जब तक पानी का गुनमान बहत खाराप ना हो जाए . इसमें बाच्चो को जादा स्ट्रेस होता है.

नर्सरी का पहेला स्टेज में आप पाउडर फर्म का बाजार का फीड दे  सकते है .  बच्चा जब एक ग्राम का आप पास हो गायेगा तब  .6mm -.8mm का खाना दे सकते है .

2-3 महिना का नर्सरी में 60-70% मछली फिंगर लिंग तक बन जाएगा . इसे  आपको बढ़ा तालाब में छोड़ दे ना चाहिइ .

कल्चार तालाब मेनेजमेंट (Culture pond management for Fish Farming in Hindi)

कल्चार तालाब का आकर 1500sqm – 10000sqm तक होना चाहिए .

कल्चार तालाब में आप 40-50pcs/sqm में दाल सकते है .

6-8 months में अगर सही कल्चार में  5-6 ton/hector उतपादन कर सकते है .  

देशी मांगुर का फीडिंग मेनेजमेंट (Feeding Management for Deshi Mangur Farming in Hindi)

देशी मांगुर मछली फाइटो प्लांकटन को जादा पसंद नही करते है लेकिन जू प्लांकटन बहुत आछे तरे से खाते है , इसलिए देशी मांगुर मछली का पालन में आपको तालाब में जू प्लांकटन का उपर जादा नजर देना पढ़ेगा. और जू प्लांकटन बनाने के लिए आपको फाइटो प्लांकटन बनाने का जरुरत है . और सिंघी मछली को मरे और सड़े हुए मछली , किढ़े , मकोड़े खाते है .

सिंघी पालन करेने के लिए पानी के उपर जादा ध्यान देना चाहिए , इस मछली का फार्मिंग में मछली को जादा स्क्रीन का बीमारी का खतरा रहेता है , इस लिए पानी में बिच बिच में जिबाणु नासक का इस्तेमाल करना चाहिए . हर समय उसके बजन के अनुसार होना चाहिए . आपको प्रोटीन , कार्बोह्य्द्रेड  का परसेंटेज सही मात्रा में देना चाहिए . साधारण रूप में देशी मांगुर मछली की FCR 1.5:1.8 होता हे.

 देशी मांगुर फिश का फीडिंग चार्ट (Deshi Mangur Fish Feeding Chart in Hindi)

Fish Weight (gm) Feed size (nm)Feed Percentage / Body  weightProtein Percentage
5-101.57%32%
10-2026%32%
20-3025%32%
30-4034%28%
50-10033-5%28%
100-20042-5%28%
200-30042%28%
300-40041-5%28%
400-60041-5%28%

पानी का सही मेनेजमेंट बहुत जरुरी है ? (Fish Farming water management in Hindi)

सभी मछली के जेसा भेटकी मछली पालन में भी पानी का स्थिति को सही राखना बहुत जरुरी है. इसके कारण पानी सारे पेरामीटर को सही राखना होगा .

निचे  पानी का पेरामीटर  देख ले –

मछली पालन के लिए पानी का पेरामीटर चेरत

DO –  4-8ppm (parts per million)

Temperature  – 28-32  C ( Ideal)

PH – 6.5-8.5

Alkalinity  – 50-300 mg /lit ( ideal)

Ammonia  – 0 – 0.5 mg / lit

No2 (Nitrite ) <1

No3 ( Nitrate) <100

देशी मांगुर मछली पलने में रोग और उपचार (Diseases And Treatment Of Deshi Mangur Fish Farming in hindi)

मछली पलने में साधारण रूप में रोग बहुत कारण से आ सकते हे. लेकिन रोग आने का सबसे जादा जो कारण हे ओ पानी का पेरामीटर का स्थिति सही नही रहेना . इसलिए मछली का बीमारी के प्रोटेक्ट करने के लिएय सबसे पहेले  हमलोग को पानी का पेरामीटर का उपर जादा ध्यान देना जरूरी है .

फिर भी कभी कभी बीमारी आ जाते है  जेसा –

टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)

टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)
टेल एंड फिन रोट (Tail and fin rot)

लक्षण :

पूंछ और पंख का सड़ना

पंख के कोने पर हल्का सफेद रंग दाग दिखती है,

उसके बाद  पंख के चारों ओर में  फैल जाता है, कुछ दिन बाद पंख शरीर से गिर जाता है।

उपचार :

0.5% कॉपर सल्फेट से उपचार किया जाता है।

मछली को उपचारित पानी में 2-3 मिनट के लिए डुबोया जाता है।

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है .

गिल रोट (Gill rot)

लक्षण :

गिल रोट (Gill rot)
गिल रोट (Gill rot)

ग्रे(Grey) रंग के गलफड़े होते हैं और फिर अंत में गिर जाते हैं।

मछलि सांसें नही ले पाते, मछलि सांसें लेने के लिए पानी की ऊपरी परत पर आ जाती हे.

 अंत में सांस फूलने से मर जाती .

उपचार : मछलियों को 5-10 मिनट के लिए 3-5% खारे पानी में डुबोया जाता है ताकि बीमारी का इलाज किया जा सके।

एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)

लक्षण :

एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)
एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (Epizootic Ulcerative Syndrome)

शरीर पर लाल रं का छाले.

त्वचा और पंख  गिर जाता है .

अंत में मछली की मृत्यु।

उपचार:

200 gm/sqmter चूना पानी में डालें

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है .

और पानी में रासायनिक  खाद न डालें

सफेद दाग शरीर में (White spot disease):

लक्षण :

मछली की त्वचा, पंखों और गलफड़ों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं।

उपचार:

मछली को फॉर्मेलिन के घोल में 0.02% की दर से 7-10 दिनों के लिए 1 घंटे के लिए डुबोएं।

उसके साथ OxyTetracycline 2gm/kg feed के साथ मिलाके खिलाने से सही हो जाते है

सिंघी मछली का मार्केटिंग कैसे करे ? ( Singi fish Marketing in Hindi)

सिंघी मछली का मार्केटिंग डिमांड बहुत जादा है, इसलिए इस मछली को मार्केटिंग के लिए कोई समस्या नही होता. आप आपका कोई भी पास का मंडी में इस मछली बिक जाता है, और आभी का दिन में १कलो सेज का कतला मछली का होल सेल प्राइस है rs. 450-500 / kg .

सिंघी मछली पालन में लाभ कितना होता है ?( What is the profit in Singi fish farming in Hindi?)

सही तरीका से सिंघी मछली पालन किया जाये तो ला का परिमाण बहुत जादा होता है . अगर एक हेक्टर का फार्मिं किया जेर तो इसमें खर्चा तिन लाख तक होता है , और एक साल में मछली बेचने के बाद 10-12 लाख तक मुनाफा ले सकते है .

Q. सिंघी मछली का वैज्ञानिक नाम क्या हे ?

Ans. – Heteropneustes fossilis

Q. सिंघी मछली प्रती हेक्टर कितना उत्पादन कर सकते हे ?

Ans सिंघी मछली , आगर एरेसन सिस्टम आछा रहेगा तो प्रति हेक्टर से 4 -5 Ton उत्पादन ले सकते है .

Q. Tank में सिंघी मछली का पालन हो सकते है ?

Ans Tank में सिंघी के पालन होता है . इस मछली के पालन के लिए बढ़ा आकर का तालाब जरुरत नही है .

Q. सिंघी मछली का रेट

Ans,. – सिंघी मछली का होल सेल रेट rs. 450-550 तक होता है .

मछली पालन की बिज़नस कैसे सुरु करे?

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