साम दाम दंड भेद का अर्थ | saam daam dand bhed meaning

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साम दाम दंड भेद का अर्थ : साम दाम दंड भेद का अर्थ आज का इस निबन्ध में हम जानेगे “साम दाम दंड भेद का अर्थ” इस बहुत प्रचलित श्लोक का अर्थ , इसका प्रोयोग और उपयोग , किसने इस श्लोक को मानब समाज उपयोग जादा किया , और इतिहास की किस किस समय इस श्लोक की जादा मात्रा प्रभाब राहा .

आप अगर इस साम दाम दंड भेद का अर्थ का बारे में जानना चाहते है तो आप इस निबन्ध को अंत तक पड़े , आपको इस श्लोक का सारे तथ्य प्राप्त हो जाएगा .

साम दाम दंड भेद का अर्थ क्या है ?

साम दाम दंड भेद एक बिशेष कूटनीति बोला जाता है . इस कूटनिति का उपयोग करके आप आपका उद्देश्य को शफल करने के लिए कोई भी काम करके उसे पूरा करते है .

इस प्रकार कूटनीति को कभी कभी इतिहास का दिग्गज ने बुरी नजर से देखे है . किउ की की इस कूटनीति का प्रयोग करने बला कभी कभी धोके से काम करते है . फिर भी इतिहास में देखा गया कभी कभी बहुत बड़े और महत उद्देश्य को साकार करने के लिए महान ब्यक्ति ने इस कूटनीति का उपयोग किया है .

साधारण रूप में कूटनीति का उपयोग राजा महाराजा के बिच होता है . इतिहास में इस कूटनीति का प्रोयोग बहुत बार हुआ है . भारतीय इतिहास और बिश्ब के इतिहास में भी इस निति का बहुत बार प्रोयोग किया है .

साम दाम दंड भेद का अर्थ प्रोयाग किसने किया था ?

साम दाम दंड भेद का प्रोयाग इतिहास में बहुत ही महान पुरुष ने किया है , कभी कभी कोई बहुत बड़ा कार्य को सफल करने के लिए इस निति का प्रोयोग हामने इतिहास में देखे है .

सर्वप्रथम भारत के महान कूटनीतिज्ञ कौटिल्य चाणक्य इस कूटनीती विद्या का उपयोग किया था महाराज धनानंद के ख्हिलाप । पूरण में भी हम ने साम दाम दण्ड भेद का उपयोग मत्स्य पुराण में भगवन मत्स्य जी के द्वारा करते हुए देखे है .

लेकिन या बाद मन में राखीइ गा साम दाम दण्ड भेद का उपयोग हर समय सही कार्य करने ने की उपयोग करना चाहिए . राजनीति,कूट्नीति के महाविद्वान कौटिल्य चाणक्य ने एक महान कार्य को पूरा करने के लिये इस साम दाम दण्ड भेद निति का उसने उपयोग किया था उसका उद्देश्य बहुत ही एहेम था उसने अखंड भारत का निर्माण करने के लिए इस निति का उपयोग किया था ।

साम दाम दंड भेद का अर्थ
साम दाम दंड भेद का अर्थ

साम दाम दंड भेद का अर्थ क्या है ?

आप हमलोग जानते है साम दाम दंड भेद का अर्थ काया होता है ?

साम का अर्थ क्या है ?

पहेले हम जानेगे साम का अर्थ क्या है ? साम का अर्थ होता है अप किसी कार्य के किसीको समजाना , कोई भी व्यक्ति अपना काम और कार्य करने के लिए किसीको समजाके कार्य को कर सकते है । ज्यादातर लोग इसका उपयोग झूठ और मिथ्या का उपयोग करके काम कर लेते है . लेकिन जो लोग धर्म और सच्चे की रस्ते में चलते है या धर्मनिष्ठ होते है, वह इसका उपयोग सज्जनता से करते है।

दाम का अर्थ क्या है ?

अप हम जानेंगे दाम का अर्थ क्या होता है , दाम मत्त्लब अर्थ होता है . किसी कार्य करने के लिए पैसे से या किसी और चीज़ की लालच देकर उस कार्य को करवाया जाता है .

कभी कभी हमलोग का सारि चेष्टा विफल हो जाती है , उस समय इस “दाम” एक बहुत ही शक्तिशाली कूटनिति के रूप में उपयोग हो जाता है , इस निति में कोई लालच देके कार्य को पूरा किया जता है .

दंड का अर्थ क्या है ?

दंड का अर्थ  साधारण रूप में किसीको सज़ा देना।  जादातर समय कोई अगर खाराप काम करते है तो उसको सज़ा देके उस खाराप काम का कारन जानने का कौसिस किया जाता है . आज भी सिपाईयों द्वारा अधिकतर इस निति का उपयोग किया जाता है। और निति को अंत में उपयोग किया जता है जब और कोई निति से काम नही हो राहा है .

भेद का अर्थ क्या है ?

भेद का अर्थ होता है, की किसी का रहस्य या भेद जानना, इतिहास में देखा गया कभी कभी शत्रु को हाराने के लिए शत्रु का साड़ी रहस्य को जानना पड़ता था. कभी कभी देखा गया व्यापार  में भी इस निति का उपयोग किया जाता है . और इसमें शत्रु को पराजित करना बहुत सहज हो जाता है .

इस प्रकार बहुत सारे ब्यक्ति इस निति को अपनके बहुत सारे कार्य पूरा करते . और महान चाणक्य का इस निति के शिख्या लेके हमें बहुत सारि नई बिषय पर ज्ञान मिलता है .

लेकिन इस महान पुरुष का इस निति को कोई भी खाराप काम पर नही उपयोग करना चाहिए .

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Q. साम का अर्थ क्या है ?

Ans. – साम का अर्थ होता है अप किसी कार्य के किसीको समजाना , कोई भी व्यक्ति अपना काम और कार्य करने के लिए किसीको समजाके कार्य को कर सकते है ।

Q. साम दाम दंड भेद किसका निति है ?

Ans.- साम दाम दंड भेद महान कुटनीतिक चाणक्य का है .
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