अहिंसा परमो धर्म : ” अहिंसा परमो धर्म” इस श्लोक को भारत की महान धर्मग्रंथ महाभारत से लिया गया . महाभारत की बिभिन्न अंश में इस शोल्क “अहिंसा परमो धर्म ” का उपयोग किया गया .
“अहिंसा परमो धर्म ” इस श्लोक को भगबान श्री कृष्णा ने पहेले बोले थे . आप अगर “अहिंसा परमो धर्म ” की बारे जादा जानना चाहते हे तो इस निबन्ध को अंत तक पड़े . हम इस निबन्ध में “अहिंसा परमो धर्म ” श्लोक के बारे में सारे जानकारी आपको देंगे .
अहिंसा परमो धर्म क्या है ? ( What is Ahinsa param dharma?)
“अहिंसा परमो धर्म ” हिन्दू धर्मं को मानने बाले के लिए एक बहुत एहेम श्लोक है . इसे भगबान श्री कृष्ण के साथ साथ उसके अब्तर के रूप में जन्म लेने बाले बौध धर्म का महान भगबान गौतम बुध ने भी इसी श्लोक के उपर चले .
अहिंसा परमो धर्म एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अनुवाद “अहिंसा परम कर्तव्य है” या “अहिंसा सर्वोच्च गुण है” है। इस वाक्यांश का श्रेय अक्सर महात्मा गांधी को दिया जाता है, जिन्होंने सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। अहिंसा संस्कृत मूल शब्द “हिंसा” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नुकसान पहुँचाना” या “चोट पहुँचाना”। इसलिए, अहिंसा का अर्थ है अहिंसा या विचार, वचन और कर्म में अहिंसा। यह अहिंसक प्रतिरोध और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का सिद्धांत है जो मनुष्यों, जानवरों और यहां तक कि पौधों सहित सभी जीवित प्राणियों तक फैला हुआ है।
अहिंसा परमो धर्म का meaning क्या है ? अहिंसा परमो धर्म का अर्थ
हिंदू परंपरा में, अहिंसा को पतंजलि के योग सूत्र में यम या नैतिक अनिवार्यताओं में से एक माना जाता है। यह जैन धर्म के पांच व्रतों में से एक है और इसे जैन नैतिकता की आधारशिला माना जाता है। अहिंसा में न केवल शारीरिक हिंसा बल्कि मौखिक और मानसिक हिंसा से भी बचना शामिल है। इसके लिए सभी जीवित प्राणियों के प्रति सहानुभूति और करुणा की गहरी भावना और नुकसान से बचने के लिए एक सक्रिय प्रयास की आवश्यकता होती है। यह ध्यान, ध्यान, और दयालुता, उदारता और क्षमा जैसे सकारात्मक गुणों की खेती जैसे अभ्यासों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। कुल मिलाकर, अहिंसा परमो धर्म सभी जीवित प्राणियों के साथ अहिंसा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का जीवन जीने के महत्व पर जोर देता है, जो अंततः अधिक सामंजस्यपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज की ओर ले जा सकता है।

“अहिंसा परमो धर्म” हिंदू शास्त्रों का एक वाक्यांश है, विशेष रूप से महाभारत नामक प्राचीन भारतीय पाठ से। इस वाक्यांश का श्रेय भगवान कृष्ण को दिया जाता है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने कुरुक्षेत्र के महाकाव्य युद्ध के दौरान नैतिकता और धार्मिकता पर अपनी शिक्षाओं के एक भाग के रूप में अर्जुन से यह बात कही थी।
“अहिंसा” शब्द का अर्थ है अहिंसा या अहिंसा, और “परमो धर्म” का अर्थ है सर्वोच्च कर्तव्य या सर्वोच्च कर्तव्य। तो वाक्यांश “अहिंसा परमो धर्म” का अनुवाद “अहिंसा सर्वोच्च कर्तव्य है” या “सर्वोच्च कर्तव्य अहिंसा है” के रूप में किया जा सकता है।
माना जाता है कि महाभारत को 400 ईसा पूर्व और 400 सीई के बीच लिखा गया था, लेकिन इस वाक्यांश की उत्पत्ति की सही तारीख ज्ञात नहीं है। हालाँकि, इसे हिंदू धर्म का एक मूलभूत सिद्धांत माना जाता है, और पूरे इतिहास में भारत में कई आध्यात्मिक नेताओं और समाज सुधारकों द्वारा प्रचारित किया गया है।
महाभारत में भगबान श्री क्रष्ण ने अर्जुन को बोला था kura – हर ब्यक्ति को धर्म का रस्ते में चलना चाहिए , धर्म का एक ही उद्देश्य है प्रेम और शांति के रस्ते में चलना. इसलिए कोई अगर इस धर्म को नही मानेगा उस भक्ति को बिरुद्ध जुध लड़ना चाहिए . और उसका बिनाश करना चाहिए . धर्म के यह बहुत जरुरी है . और इसमें कोई ओध्र्म नही है .

अहिंसा परमो धर्म श्लोक
- अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तप:
- अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परो दम:
- अहिंसा परमो यज्ञस्तथाहिंसा परं फलम्
- अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्म: प्रवर्तते
- अहिंसा परमंं दानमहिंसा परमं तप:
- अहिंसा परमं मित्रमहिंसा परमं सुखम्
- अहिंसा परमो धर्म: सर्वप्राणभृतां स्मृत:
- अहिंसालक्षणो धर्मो हिंसा चाधर्मलक्षणम्
Q. अहिंसा परमो धर्म क्या है ?
Q. अहिंसा परमो धर्म किसने कहा था ?